अद्धयात्मअन्तर्राष्ट्रीयफीचर्ड
लन्दन में हुआ योग संसद का आयोजन,जीवन को पदार्थो से नहीं प्रभु से भरे-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
लन्दन , 28 जून। लन्दन की धरती पर योग संसद का आयोजन किया गया जिसमें इंग्लैड व यूरोप के 1000 से अधिक योग जिज्ञासुओ , योग प्रेमियों और योगाचार्यो ने सहभाग किया।
योग संसद में प्रमुख वक्ता और अतिथि आध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, योगगुरू स्वामी रामदेव जी महाराज, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी, बकिंघम से गुरूनानक निष्काम सेवा जत्था से भाई साहब श्री मोहिन्दर सिंह जी, इरान के प्रसिद्ध विद्वान, राजनेता, इस्लामिक नेता मोहरजानी साहब, हाउस आफॅ काॅमन्स पार्लियामेन्ट के लार्ड जितेश गडीया एवं परिवार, 50 वर्षो से लन्दन में गुजराती भाषा का पत्रिकाओं के मााध्यम से प्रचार-प्रसार करने इस्टर्न आई, फार्मेसी, मेडिकल एवं यूरोपियन को पत्र-पत्रिकाओं से जोड़ने के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले श्री रमणीक भाई सोलंकी, श्रीमती सोलंकी व अन्य गणमान्य अतिथियों ने सहभाग किया।
योग संसद को सम्बोधित करते हुये परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने जीवन में शान्ति को आत्मसात करने का संदेश दिये हुये कहा कि लोग सोेने की चेन तो पहन लेते है परन्तु जीवन में चैन नहीं ला पाते। उन्होने कहा सोने की चेन पहनना अवश्यक नहीं बल्कि जीवन में चैन का होना नितांत अवश्यक है। हम जीवन को वस्तुओं से, पदार्थो से सेट कर लेते है परन्तु जीवन अपसेट ही रह जाता है। उन्होने जीवन को प्रभु से; शान्ति से भरने का संदेश देते हुये कहा कि शान्ति ही जीवन की सबसे बड़़ी उपलब्धि है। स्वामी जी ने कहा कि आप बाहर से सब समेटे लेकिन भीतर की रिक्तता को भी भरने का प्रयास करे। हम जीवन में केवल बटोरते रहने से विशाद पैदा होता है अतः ’बटोरे और बांटे’ इसे जीवन का मंत्र बना ले तो जीवन में शान्ति का समावेश अपने आप हो जायेगा।
स्वामी जी ने पिछले वर्ष थेम्स नदी की सफाई को याद करते हुये कहा कि इस तरह का स्वच्छता अभियान हम गंगा के तटों पर चलायेंगे तो काफी हद तक प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
लन्दन और यूरोप से आये योगियों को स्वामी जी महाराज ने अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव, आगामी कुम्भ मेला में सहभाग हेतु आमंत्रित किया। उन्होने कहा कि भारत आकर गंगा सहित भारत की अन्य नदियों की स्वच्छता में अपना योगदान प्रदान करे।
योग संसद को सम्बोधित करते हुये स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि योग भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर है। उन्होने सभी से आह्वान किया ’’करे योग रहे निरोग’’। स्वामी जी ने प्रतिदिन योग करने का संदेश दिया।
योग संसद में उपस्थित योगियों को योग, ध्यान, अध्यात्म और जीवन की विभिन्न समस्याओं के विषय में साध्वी भगवती सरस्वती जी विशद चर्चा की और योगियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। योग संसद में पूर्ण रूप से भारतीय संस्कृतिमय वातावरण था। साध्वी जी ने योगियों को जीवन शोर से शान्ति की ओर ले जाने का संदेश दिया। उन्होने कहा कि साधना आन्तरिक शान्ति को प्राप्त करने का बेहतर माध्यम है। साधना के द्वारा मनुष्य ’इनर सेल्फ’ को भर कर आध्यात्मिक उन्नति के शिखर तक पंहुच सकता है। मनुष्य अपने शेल्फ को; अलमारियांेेे को भरने में पूरा जीवन लगा देताा है परन्तु इनर सेल्फ खाली ही रह जाता हैै। साधना के माध्यम से इनर सेल्फ की रिक्तता को भरकर जीवन में सकारात्मक परिवर्तन करें यही जीवन की साधना है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने योग संसद में उपस्थित योगियों को नदियों की स्वच्छता का संकल्प कराया।
योग संसद में प्रमुख वक्ता और अतिथि आध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, योगगुरू स्वामी रामदेव जी महाराज, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी, बकिंघम से गुरूनानक निष्काम सेवा जत्था से भाई साहब श्री मोहिन्दर सिंह जी, इरान के प्रसिद्ध विद्वान, राजनेता, इस्लामिक नेता मोहरजानी साहब, हाउस आफॅ काॅमन्स पार्लियामेन्ट के लार्ड जितेश गडीया एवं परिवार, 50 वर्षो से लन्दन में गुजराती भाषा का पत्रिकाओं के मााध्यम से प्रचार-प्रसार करने इस्टर्न आई, फार्मेसी, मेडिकल एवं यूरोपियन को पत्र-पत्रिकाओं से जोड़ने के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले श्री रमणीक भाई सोलंकी, श्रीमती सोलंकी व अन्य गणमान्य अतिथियों ने सहभाग किया।
योग संसद को सम्बोधित करते हुये परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने जीवन में शान्ति को आत्मसात करने का संदेश दिये हुये कहा कि लोग सोेने की चेन तो पहन लेते है परन्तु जीवन में चैन नहीं ला पाते। उन्होने कहा सोने की चेन पहनना अवश्यक नहीं बल्कि जीवन में चैन का होना नितांत अवश्यक है। हम जीवन को वस्तुओं से, पदार्थो से सेट कर लेते है परन्तु जीवन अपसेट ही रह जाता है। उन्होने जीवन को प्रभु से; शान्ति से भरने का संदेश देते हुये कहा कि शान्ति ही जीवन की सबसे बड़़ी उपलब्धि है। स्वामी जी ने कहा कि आप बाहर से सब समेटे लेकिन भीतर की रिक्तता को भी भरने का प्रयास करे। हम जीवन में केवल बटोरते रहने से विशाद पैदा होता है अतः ’बटोरे और बांटे’ इसे जीवन का मंत्र बना ले तो जीवन में शान्ति का समावेश अपने आप हो जायेगा।
स्वामी जी ने पिछले वर्ष थेम्स नदी की सफाई को याद करते हुये कहा कि इस तरह का स्वच्छता अभियान हम गंगा के तटों पर चलायेंगे तो काफी हद तक प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
लन्दन और यूरोप से आये योगियों को स्वामी जी महाराज ने अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव, आगामी कुम्भ मेला में सहभाग हेतु आमंत्रित किया। उन्होने कहा कि भारत आकर गंगा सहित भारत की अन्य नदियों की स्वच्छता में अपना योगदान प्रदान करे।
योग संसद को सम्बोधित करते हुये स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि योग भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर है। उन्होने सभी से आह्वान किया ’’करे योग रहे निरोग’’। स्वामी जी ने प्रतिदिन योग करने का संदेश दिया।
योग संसद में उपस्थित योगियों को योग, ध्यान, अध्यात्म और जीवन की विभिन्न समस्याओं के विषय में साध्वी भगवती सरस्वती जी विशद चर्चा की और योगियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। योग संसद में पूर्ण रूप से भारतीय संस्कृतिमय वातावरण था। साध्वी जी ने योगियों को जीवन शोर से शान्ति की ओर ले जाने का संदेश दिया। उन्होने कहा कि साधना आन्तरिक शान्ति को प्राप्त करने का बेहतर माध्यम है। साधना के द्वारा मनुष्य ’इनर सेल्फ’ को भर कर आध्यात्मिक उन्नति के शिखर तक पंहुच सकता है। मनुष्य अपने शेल्फ को; अलमारियांेेे को भरने में पूरा जीवन लगा देताा है परन्तु इनर सेल्फ खाली ही रह जाता हैै। साधना के माध्यम से इनर सेल्फ की रिक्तता को भरकर जीवन में सकारात्मक परिवर्तन करें यही जीवन की साधना है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने योग संसद में उपस्थित योगियों को नदियों की स्वच्छता का संकल्प कराया।