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एक लाख करोड़ की आयकर वसूली


नई दिल्ली : वर्ष 2017-18 में आयकर विभाग ने 1 लाख करोड़ रुपये बकाया वसूली (रिकवरी) की है, जो पिछले वित्त वर्ष के कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह का 10 फीसदी है। विभाग ने संपत्तियों को सील करने जैसेे कई उपाय किए जिससे बकाया कर और कर मांग की वसूली में 33 फीसदी का इजाफा हुआ। वर्ष 2016-17 में करीब 750 अरब रुपये की बकाया वसूली हुई थी। बकाया कर वसूली के लिए चल और अचल संपत्तियों की पहली बार बिक्री की गई और कर मांग अदा नहीं करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इसके साथ ही विभाग ने कर नहीं चुकाने वाली कंपनियों के निदेशकों को नोटिस भेजकर कर मांग अदा करने के लिए उन्हें जिम्मेदार बताया गया।

कर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में बकाया कर की वसूली की बड़ा योगदान रहा। अभियोजन, संपत्तियों की बिक्री और दोष सिद्घ करने पर जोर से वसूली बढ़ी। हमने कई गैर-पारंपरिक उपाय अपनाए। चालू वित्त वर्ष में भी इस पर ध्यान दिया जाएगा। पहली बार विभाग द्वारा 15 संपत्तियों की बिक्री की गई। अधिकारी ने कहा कि पंचाट द्वारा आदेश आने के बाद भी पहले यह मामला लंबित था। हमने निर्देश दिया कि संपत्ति बेची जानी चाहिए और पंचाट ने विभाग के आदेश को बरकरार रखा और उच्च न्यायालय से भी स्थगन नहीं मिला। कर नहीं चुकाने वालों के खिलाफ विभाग ने आयकर कानून की धारा 276 सी2 के तहत अभियोजन दर्ज करने पर जोर दिया। इस दौरान विभाग द्वारा अदालत में 4,527 मामले दर्ज किए, जो किसी भी साल में सर्वाधिक है। इन मामलों में दोषी करार देने की दर भी 325 फीसदी बढ़ी। इससे पिछले साल 16 मामलों में बकायेदार को दोषी करार दिया गया था जबकि 2017-18 में 68 मामलों में फैसला विभाग के पक्ष में आया। एक अधिकारी ने कहा, इसके साथ ही हमने मामले के तेजी से निपटान के लिए अदालत के साथ समन्वय पर जोर दिया। 1 लाख करोड़ रुपये की वसूली में 600 अरब रुपये पिछला बकाया था और 400 अरब रुपये की नई कर मांग की गई थी।

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