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केजरीवाल के सामने बड़ी चुनौती, अब नाकामियों के लिए किसी को नहीं ठहरा पाएंगे दोषी

दिल्ली सरकार बड़ी या उपराज्यपाल, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जिम्मेदारी बढ़ गई है। अब वह अपनी नाकामियों के लिए किसी अन्य को दोषी नहीं ठहरा पाएंगे, न प्रधानमंत्री को और न ही उपराज्यपाल को।

पिछले दिनों एक सर्वे में दिल्ली के 54 फीसदी लोगों ने माना था कि केंद्र सरकार उपराज्यपाल के जरिए केजरीवाल को काम नहीं करने दे रही है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह दलील नहीं चलेगी। जनता अब सिर्फ उन्हें उनकी सरकार के प्रदर्शन की कसौटी पर कसेगी।

बमुश्किल दस महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव और डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव से पहले उनके सामने अपने चुनावी वादे पूरी करने की चुनौती है। 31 जनवरी 2015 को जारी आम आदमी पार्टी के 70 मुद्दों वाले घोषणा पत्र को केजरीवाल ने अपने लिए गीता और बाइबिल करार दिया था। उनके अनुसार, चार महीनों की मशक्कत के बाद यह घोषणा पत्र बनाया गया था।

इसमें जन लोकपाल कानून, स्वराज कानून बनाने, बिजली बिल आधे करने, बिजली कंपनियों का ऑडिट सीएजी से कराने, हर परिवार को प्रति माह 20,000 लीटर मुफ्त पानी, सार्वजनिक स्थानों पर फ्री वाई-फाई, 15 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने, चार लाख टॉयलेट बनाने, बसों में महिला पुलिस और हर साल लाखों नौकरियां देने जैसे कई वादे थे।

वापस मिली ताकत

इनमें से कुछ पर काम हुआ है, कुछ पर आधा अधूरा हुआ है और मुफ्त वाई-फाई जैसे कई विषय हैं जिन पर अभी सरकार ने काम शुरू ही नहीं किया है। जल्द ही देश चुनावी मोड़ में आने वाला है और तब जनता केजरीवाल से उनके वादों के बारे में पूछेगी।

शुरू से टकराव
केजरीवाल सरकार की शुरुआत ही केंद्र सरकार और उपराज्यपाल के साथ टकराव से हुई थी। चाहे जन लोकपाल विधेयक हो या फिर मंत्रिमंडल के दूसरे फैसले, राज्य सरकार ने उपराज्यपाल को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया। इसी के बाद उनके सभी काम राजभवन में जाकर अटक जाते थे।

वापस मिली ताकत
शीला दीक्षित के पंद्रह साल के शासन और केजरीवाल के तीन साल की सरकार में मूल फर्क सिर्फ सर्विसेज (नौकरशाही) के केंद्र के पास चले जाने का था। यही वजह थी कि शीला सरकार ने हजारों करोड़ रुपये के बिजली वितरण के निजीकरण के फैसले को राजभवन की मंजूरी के लिए नहीं भेजा और तत्कालीन एलजी ने भी कोई आपत्ति नहीं जताई।

वहीं केजरीवाल के हर फैसले पर उपराज्यपाल के सवाल जवाब हो रहे थे। केजरीवाल का आरोप है कि दिल्ली सरकार की 400 से ज्यादा फाइलें एलजी के पास अटकी थीं लेकिन अब यह समस्या खत्म हो गई है। 

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