पिथौरागढ़ : उत्तराखंड की मशहूर लोक गायिका कबूतरी देवी का शनिवार को पिथौरागढ़ के जिला अस्पताल में निधन हो गया। सांस लेने में समस्या के कारण कबूतरी देवी हॉस्पिटल में भर्ती थीं। 73 वर्षीय कबूतरी देवी को गुरुवार रात अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कबूतरी देवी के निधन की खबर सामने आने के बाद उनका परिवार और प्रशंसक शोक में डूबे हुए हैं। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित कबूतरी देवी पिथौरागढ़ के सुदूर ग्रामीण अंचल क्वीतड़ ब्लॉक मूनाकोट की रहने वाली थीं।
कबूतरी देवी ने पर्वतीय लोक शैली को अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाया था। उत्तराखंड की तीजनबाई कही जाने वाली कबूतरी देवी ने पहली बार दादा-नानी के लोकगीतों को आकाशवाणी और प्रतिष्ठित मंचों के माध्यम से प्रचारित और प्रसारित किया था। जब उन्होंने आकाशवाणी पर प्रस्तुतियां देनी शुरू की थीं, उस वक्त कोई महिला संस्कृतिकर्मी आकाशवाणी के लिए नहीं गाती थीं। 70 के दशक में उन्होंने पहली बार पहाड़ के गांव से स्टूडियो पहुंचकर रेडियो जगत में अपने गीतों से धूम मचा दी थी। कबूतरी देवी ने आकाशवाणी के लिए करीब 100 से अधिक गीत गाए। उनके गीत आकाशवाणी के रामपुर, लखनऊ, नजीबाबाद और चर्चगेट, मुंबई के केन्द्रों से प्रसारित होते थे। जीवन के लगभग 20 साल अभावों में बिताने के बाद 2002 से उनकी प्रतिभा को उचित सम्मान मिलना शुरू हुआ। इसके बाद उन्हें कई सम्मानों ने नवाजा गया। साथ ही उत्तराखंड के संस्कृति विभाग ने उन्हें पेंशन देने का भी फैसला किया। कबूतरी देवी अपनी बेटी के साथ पिथौरागढ़ में रह रही थीं।