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उत्तर प्रदेश सरकार से उच्च न्यायालय ने पूछा, क्यों किया एसएसपी दीपक का तबादला


लखनऊ : विश्वविद्यालय में बीते चार जुलाई को हुए उपद्रव मामले में उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सरकार से पूछा है कि बीते छह जुलाई को अदालती आदेश के तुरंत बाद लखनऊ के तत्कालीन एसएसपी दीपक कुमार का तबादला किन हालात में किया गया। कोर्ट ने प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी को अपने जवाबी हलफनामा दाखिल कर यह भी बताने को कहा है कि किन हालात में किस सामग्री के आधार पर तत्कालीन एसएसपी का तबादला किया गया। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की खंडपीठ ने सोमवार को खुली अदालत में यह आदेश लखनऊ विश्वविद्यालय बवाल और गुंडई मामले में दर्ज जनहित याचिका पर दिया है।

अदालत ने लखनऊ विश्वविद्यालय में चार जुलाई को हुई गुंडई मापीट व तोड़फोड़ की घटना का खुद संज्ञान लेते हुए यह याचिका दर्ज करायी थी। गत छह जुलाई को कोर्ट ने इस मामले में डीजीपी एसएसपी समेत विश्वविद्यालय के कुलपति, रजिस्ट्रार और प्रॉक्टर को अपने-अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने के निर्देश दिए थे। यह जवाबी हलफनामे उक्त अफसरों की तरफ से आज यानि सोमवार को उनके वकीलों द्वारा पेश किए गए। राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही और मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश पांडेय ने कोर्ट को बताया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय और उच्च शैक्षणिक संस्थानों में ऐसी घटनाओं की पुनरावृति न होने देने के लिए एक समिति बना दी गई है, जो महीने भर में अपनी रिपोर्ट दे देगी। कोर्ट को यह भी बताया गया कि चार जुलाई की घटना के सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और बाकी की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।

उधर, लखनऊ विश्वविद्यालय की तरफ से संबंधित अफसरों की तरफ से जवाबी हलफनामे दाखिल कर कहा गया कि विश्वविद्यालय में भी कोर्ट के आदेश पर एक समिति बना दी गई है जो 15 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। अदालत द्वारा बार-बार सरकारी वकीलों से यह पूछे जाने पर कि कोर्ट के पिछले आदेश के अगले ही दिन तत्कालीन एसएसपी का तबादला क्यों किया गया। इस पर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश पांडेय ने कहा कि इसका कोई अन्य आशय नहीं था बल्कि यह गुड फेथ में किया गया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई छह अगस्त नियत की है।

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