अद्धयात्मजीवनशैली

सनातन धर्म में चार चीजें अपवित्र होने के बावजूद पवित्र माना गया है


सनातन धर्म में कुछ अपवित्र चीजों को भी पवित्र माना गया है। जो हमें जानवर, पक्षी और कीड़ों के मल, उल्टी और उनके मरने से मिलती है। जैसे गाय का दूध पहले बझड़ा उसे जूठा कर देता है फिर हमें दूध मिलता है, लेकिन गाय के दूध को पांच अमृतों में एक माना गया है। साथ ही इसका उपयोग देवी-देवताओं के अभिषेक के लिए किया जाता है और दूध से खीर और घी बनाते हैं जिनको नैवेद्य के रूप में भगवान को चढ़ाया जाता है। इसके अलावा और भी चीजें हैं जो अपवित्र होकर मिलती है लेकिन भगवान की पूजा में उन्हें पवित्र माना गया है। इसके लिए ग्रंथों में एक श्लोक भी है –
उच्छिष्टं शिवनिर्माल्यं वमनं शवकर्पटम् ।
काकविष्टा ते पञ्चैते पवित्राति मनोहरा॥
अर्थ : उच्छिष्ट, शिव निर्माल्यं, वमनम्, शव कर्पटम्, काकविष्टा, ये पांचो चीजे अपवित्र होते हुए भी पवित्र है।
उच्छिष्ट : गाय का दूध पहले उसका बछड़ा पीकर उच्छिष्ट करता है यानी झूठा करता है। इसके बाद भी वह अपवित्र नहीं माना जाता है। अपवित्र नहीं होने के कारण गाय के दूध को अमृत भी कहा जाता है।
वमनम् : मधुमक्खी जब फूलों का रस ले कर अपने छत्ते पर आती है तब वो अपने मुख से उसे निकालती है यानी उस रस की उल्टी करती है, जिससे शहद बनता है और उसे फिर भी पवित्र माना जाता है। शहद का उपयोग मांगलिक कामों में किया जाता है। पांच अमृतों में शहद को भी एक माना गया है।
शव कर्पटम् : रेशमी वस्त्र मांगलिक कामों और पूजा-पाठ में पवित्रता होनी जरूरी है। वहीं रेशमी वस्त्र को भी पवित्र माना गया है, लेकिन रेशम को बनाने के लिये उसको उबलते पानी में डाला जाता है और इससे उसमें रहने वाला रेशम का कीड़ा मर जाता है। उसके बाद रेशम मिलता है तो इस प्रकार शव कर्पट हुआ लेकिन यह फिर भी पवित्र है।
काक विष्टा : कौवा पीपल आदि पेडों के फल खाता है और उन पेड़ों के बीज अपनी विष्टा यानी मल में इधर उधर छोड़ देता है जिससे पेड़ों की उत्पत्ति होती है। पीपल भी काक विष्ठा यानी कौए के मल में निकले बीजों से पैदा होता है। फिर भी इसको पवित्र माना गया है। पीपल पर देवताओं और पितरों का निवास भी माना गया है।

Related Articles

Back to top button