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पाकिस्तान चुनाव पर चीन की भी है गहरी नजर, इसलिए अटकी है भारत की सांस

पाकिस्तान में चुनाव और वहां नई सरकार बनने के पूरे घटनाक्रम पर चीन गहरी नजर रखे हुए है. असल में चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC) में चीन का करीब 62 अरब डॉलर दांव पर लगा हुआ है. इसलिए चीन को इस बात की चिंता है कि नवाज की पार्टी नहीं जीती और इमरान सत्ता में आए तो उसके इस प्रोजेक्ट का क्या होगा? इमरान चुनाव प्रचार के दौरान इस प्रोजेक्ट की आलोचना कर चुके हैं.

चीन ने जब अपने महत्वाकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव कार्यक्रम की शुरुआत की थी, तो उसे यह लगा था कि इससे पाकिस्तान में बड़ा बदलाव आएगा और नवाज शरीफ सरकार को इससे मजबूती मिलेगी.

शरीफ की बर्खास्तगी से पहले चीन की रेनमिन यूनिवर्सिटी ने एक आंतरिक आकलन में बताया था कि इस सीपीईसी प्रोजेक्ट की अच्छी प्रगति नवाज सरकार में ही हो सकती है. पनामा पेपर खुलासे के बाद नवाज की स्थिति कमजोर होने पर इसमें चिंता जताई गई थी.

इस रिपोर्ट में कहा गया था, ‘यदि कोई अपवाद नहीं हुआ तो शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन के फिर से सत्ता में आने की संभावना ज्यादा है और इस सरकार के बने रहने से सीपीईसी को समर्थन मिलेगा.’  

लेकिन अब चीन के लिए कई चिंताजनक बातें सामने आई हैं. चुनाव अभियान के दौरान पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के नेता इमरान खान ने सीपीईसी के कई प्रोजेक्ट्स में पारदर्शिता के अभाव और कथित भ्रष्टाचार को लेकर मौजूदा सरकार की आलोचना की थी.

हाल में ऐसी कई खबरें सामने आईं कि पाकिस्तान सरकार ने इस परियोजना के लिए असाधारण नरमी बरती है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की 22 जुलाई की खबर के अनुसार सीपीईसी परियोजना में चीनी बिजली कंपनियों को उनके निवेश पर 34 फीसदी के सालाना रिटर्न का वादा किया गया है, जिसका भुगतान पाकिस्तान सरकार डॉलर में करेगी.

लेकिन अब पाकिस्तान में आर्थिक संकट को देखते हुए यह एक बड़ा बोझ साबित हो सकता है. मंगलवार को चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि चुनाव का नतीजा कुछ भी हो, उनका देश पाकिस्तान सरकार के साथ सहयोग करेगा.

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