भारत में बढ़ा अल नीनो का जोखिम, बढ़ सकती है खाद्य मुद्रास्फीति
नई दिल्ली : भारत में इस साल अल नीनो का जोखिम बढ़ रहा है और इसके कारण सामान्य से कम बारिश हो सकती है तथा इसका ग्रामीण क्षेत्र की मांग प्रभावित हो सकती और खाद्य वस्तुओं की महंगाई बढ सकती है। यह बात वित्त बाजार की बिचौलिया जापानी कंपनी नोमूरा की एक ताजा रपट में कही गई है। नोमुरा के मुताबिक इस साल अल नीनो के हालात उभरने की संभावना है और इससे खाद्य महंगाई अस्थाई तौर पर बढ़ सकती है। अल नीनो के कारण हमेशा तो नहीं लेकिन अक्सर सामान्य से कम बारिश होती है और इसलिए संकेत मिलता है कि मानसून के मौसम (जून से सितंबर) के दौरान सामान्य से कम बारिश हो सकती है।
ऑस्ट्रेलियन के राष्ट्रमंडल मौसम विज्ञान ब्यूरो के दक्षिणी दोलन सूचकांक (एसओआई) मार्च में गिरकर शून्य से 11.2 नीच पहुंच गया है। जो फरवरी में 0.6 था। सूचकांक का शून्य से आठ प्रतिशत कम रहना अल नीनो का संकेतक है। नोमुरा ने कहा कि ब्यूरो ने इस साल अल नीनो की स्थिति उभरने की संभावना बढ़ाकर कम से कम 70 प्रतिशत कर दी है जो इससे पहले 50 प्रतिशत थी। भारत की कषि अर्थव्यवस्था पहले से ही खराब खरीफ और रबी मौसम के दबाव से जूझ रही है। नोमुरा की मुख्य अर्थशास्त्री ने एक अनुसंधान पत्र में कहा लगातार तीसरे साल खराब कृषि मौसम से ग्रामीण आय गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है जिसके कारण सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ने की घोषणा करनी पड़ सकती है और संभवत: खाद्य मुद्रास्फीति अस्थाई तौर पर बढ़ सकती है।