BREAKING: मुजफ्फरपुर-देवरिया कांड के बाद जागी सरकार, 9000 बालगृहों की सोशल ऑडिट का दिया आदेश
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा ‘मैंने राष्ट्रीय बाल संरक्षण संरक्षण आयोग से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि अगले 60 दिनों के भीतर सभी बाल देखभाल (चाइल्ड केयर) संस्थानों की सोशल ऑडिट पूरी हो जानी चाहिए। मैंने खुद इसके लिए प्रोफार्मा (प्रपत्र) तैयार किया है।’
उन्होंने कहा कि ऑडिट के लिए नया प्रोफार्मा केवल बच्चों की संख्या, बिस्तरों और अन्य सुविधाओं की उपलब्धता के लिए ही नहीं, बल्कि बाल गृहों को चला रहे लोगों की पृष्ठभूमि की जांच और वहां रह रहे बच्चों की हालत की जांच के लिए भी तैयार किया गया है।
बता दें कि ऐसे बाल गृहों को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा वित्त पोषण प्रदान किया जाता है और इसे राज्य द्वारा स्वयं या गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के माध्यम से चलाया जाता है। मुजफ्फरपुर बालिका गृह की बात करें तो उसका लाइसेंस पिछले साल ही खत्म हो गया था, लेकिन इसके बावजूद नियमों को ताक पर रखकर उसे चलाया जा रहा था।
मेनका गांधी ने कहा कि देशभर में चल रहे सभी आश्रय गृहों का अब केंद्रीयकरण करने की जरूरत है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह प्रभावी ढंग से चल रहा है और उसकी निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा कि देशभर के सभी सांसदों को महिला आश्रय गृह और बाल गृहों की जिलावार सूची से संबंधित पत्र भेज दिए हैं। साथ ही उनसे कहा गया है कि वो समय-समय पर ऐसे आश्रय गृहों का दौरा कर जांच करते रहें और महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा की जानकारी लेते रहें।