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72 साल में पहली बार रुपया 70 के पार, तो क्या ये थी गिरावट की असली वजह

मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 70 के पार चला गया। 1947 से लेकर के अभी तक यह रुपये की सबसे बड़ी गिरावट है। इटली की मुद्रा लीरा में गिरावट का असर मंगलवार को भी देखने को मिला। हालांकि मंगलवार को इसकी शुरुआत 8 पैसे की मजबूती से हुई थी, लेकिन इसके बावजूद यह 69 के स्तर पर बना हुई थी। 

72 साल में पहली बार रुपया 70 के पार, तो क्या ये थी गिरावट की असली वजहपांच वर्षों में हुई सबसे बड़ी गिरावट

पिछले 5 वर्षों में रुपये में यह एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट थी। इससे पूर्व अगस्त 2013 में रुपया एक दिन में 148 पैसे की गिरावट के साथ बंद हुआ था। रुपये ने बीते साल डॉलर की तुलना में 5.96 फीसदी की मजबूती दर्ज की थी, जो अब 2018 की शुरुआत से लगातार कमजोर हो रहा है। इस साल अभी तक रुपया 10 फीसदी टूट चुका है। वहीं इस महीने डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक 164 पैसे टूट चुका है।

सोमवार को भी दिखी थी गिरावट

सोमवार को रुपये में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। डॉलर के मुकाबले रुपये 69.49 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इस गिरावट की वजह आर्थिक संकट और कमजोर ग्लोबल संकेतों को माना जा रहा है।

रुपये में गिरावट का आप पर असर
 
– पेट्रोलियम उत्पादों का आयात महंगा होगा

– बढ़ सकती है महंगाई 

– महंगे होंगे बैंकों के कर्ज

– घरेलू निवेश व कंपनियों की विस्तार योजनाओं पर बुरा असर

– विदेश में पढ़ने वाले छात्रों का खर्च बढ़ेगा

– विदेश यात्रा पर भारतीयों का खर्च बढ़ेगा

– निर्यातकों की बढ़ सकेगी कमाई

पहली बार रुपये में इतनी बड़ी गिरावट

यह पहली बार है, जब रुपये में डॉलर के मुकाबले इतनी बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है।  डॉलर के मुकाबले रुपये ने 66 पैसे की भारी गिरावट के साथ शुरुआत की है। शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 68.83 के स्तर पर बंद हुआ था। जिस तरह से वैश्विक मंदी देखी जा रही है ऐसे में विशेषज्ञ पहले ही संभावना जता चुके हैं कि रुपया 70 के स्तर पर पर पहुंच सकता है। 

इससे पहले रुपये में भारी गिरावट 19 जुलाई को को देखने को मिली थी। इस दौरान रुपये ने 69 का आंकड़ा छुआ था। डॉलर की डिमांड बढ़ने और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने रुपये को कमजोर किया था। 69 का स्तर छूने से एक दिन पहले रुपये ने 19 पैसे की गिरावट के साथ कारोबार की शुरुआत की थी। 18 जुलाई को यह 68.43 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर खुला था। 

विशेषज्ञों की माने तो अभी रुपये में दबाव बना रहेगा। लगातार डॉलर में आ रही मजबूती, कच्चे तेल की कीमतों में जारी उथल-पुथल और विदेशी निवेश प्रवाह में कमी रुपये में गिरावट के लिए जिम्मेदार है।

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