नोटबंदी-GST से घटी घरेलू बचत दर, बढ़ती गिरावट से इकोनॉमी को बड़ा खतरा
नोटबंदी और जीएसटी ने न सिर्फ छोटे उद्यमियों के कारोबार पर असर डाला है, बल्कि इन्होंने घरेलू बचत दर को भी घटाने का काम किया है. इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2012 से 2017 के बीच ये बचत 23.6 फीसदी थीं, लेकिन अब यह 16.3 फीसदी पर पहुंच गई हैं.
इंडिया रेटिंग्स ने कहा है कि अगर घरेलू बचत में यह गिरावट इसी तरह जारी रहती है, तो इससे देश की आर्थिक वृद्धि पर असर पड़ सकता है. इससे आर्थिक स्थिरता के लिए कई गंभीर चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं. रिसर्च फर्म ने घरेलू बचत में आ रही इस कटौती के लिए नोटबंदी और जीएसटी को जिम्मेदार ठहराया है.
इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री डीके पंत ने रिपोर्ट में कहा है, ”नोटबंदी और जीएसटी का इकोनॉमी पर काफी व्यापक असर पड़ा है. घरेलू क्षेत्र में यह प्रभाव ज्यादा देखने को मिला है.” उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान घरेलू बचत में 153 आधार अंकों यानी 1.53 फीसदी की गिरावट आई है.
निजी क्षेत्र की बचत जहां 12 बेसिस प्वाइंट्स घटी है. वहीं, सार्वजनिक क्षेत्र की बचत दर में 0.37 आधार अंक की बढ़ोत्तरी हुई है. इस तरह बचत दर में 1.28 फीसदी की गिरावट देखने को मिली.
बता दें कि घरेलू बचत में आम परिवारों द्वारा की जाने वाली बचत, गैर-लाभकारी संस्थाओं और अर्द्ध निगमों द्वारा की जाने वाली बचत शामिल होती हैं. किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में इनका बड़ा योगदान होता है.
इंडिया रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2012 से 2017 के बीच अर्थव्यवस्था की कुल बचत में इन बचत की हिस्सेदारी 60.93 फीसदी रही. निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 35 फीसदी, सार्वजनिक क्षेत्र ने 47 फीसदी का योगदान दिया.
पंत ने कहा कि इस दौरान घरेलू बचत की वृद्धि 3.7 फीसदी रही. निजी क्षेत्र की वृद्धि दर 17.4 फीसदी और सार्वजनिक क्षेत्र की 12.9 फीसदी रही है. यही वजह है कि घरेलू बचत दर 23.6 फीसदी से गिर कर 16.3 फीसदी हो गई है.