भारत-पाक रिश्तों में है वाजपेयी जी की बड़ी भूमिका, प्यार-वार में सब रहा जायज
सर्विस का शुभारंभ करते हुए फर्स्ट पैसेंजर के तौर पर वाजपेयी पाकिस्तान की विजिट पर पहुंचे थे। बता दें कि भारत-पाकिस्तान सीमा पर वाघा में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने वाजपेयी का स्वागत किया था। यहां उन्होंने पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ से मुलाकात कर आपसी संबंधों की नई शुरुआत की थी।
वाजपेयी ही थे जिन्होंने परमाणु परीक्षण का शुरू से ही समर्थन किया और 1998 में पांच टेस्ट कर अमेरिका समेत पाकिस्तान को रातों-रात चौंका दिया था। इस दौरान दोनों देशों के बीच लाहौर घोषणापत्र नामक द्विपक्षीय समझौता भी हुआ था, लेकिन कुछ महीने बाद ही पाकिस्तानी घुसपैठ के कारण भारत ने करगिल युद्ध लड़ा था।
कारगिल की जंग के दौरान भी ये बस सर्विस जारी थी। हालांकि, 2001 में पार्लियामेंट अटैक के बाद इसे रोक दिया गया था। 16 जुलाई 2003 में द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के बाद इसे दोबारा शुरू कर दिया गया। इसके बाद 2004 में (4-6 जनवरी) भी अटल सार्क सम्मेलन अटेंड करने इस्लामाबाद पहुंचे थे।
पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत बेनजीर भुट्टो के साथ भी अटल बिहारी वाजपेयी ने मुलाकात की। 15 और 16 जुलाई 2001 को पाक राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बीच आगरा में बैठक हुई। लेकिन यह बैठक बेनतीजा निकली और दोनों देशों के रिश्तों में और भी तल्खी आ गई।
अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार देश का नेतृत्व किया है। इस दौरान उन्होंने अपने भाषणों से पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया। वे पहली बार साल 1996 में 16 मई से 1 जून तक, 19 मार्च 1998 से 26 अप्रैल 1999 तक और फिर 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे हैं।