भारत की ये रहस्यमयी घटनाएं जिनके होने की वजह आज तक विज्ञान भी नहीं बता पाया
यह कहना गलत नहीं होगा कि वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान एक ऐसे राष्ट्र की है जहां कदम-कदम पर कोई ना कोई चमत्कार देखने को मिल जाता है। वैसे बहुत हद तक यह बात सही भी है क्योंकि अकसर देखा गया है कि चमत्कारों से जुड़ी जितनी कहानियां विश्व के सभी देशों से मिलाकर आती हैं उतनी या उससे कुछ ज्यादा अकेले भारत की भूमि पर घटित हो जाती हैं।जी हाँ हमारे भारत में काफी ऐसी जगह हैं जो की बहुत ही अजीब हैं और लोग उनके बारे में समझ भी नहीं पाते हैं ।इसके अलावा काफी ऐसी घटनाये भी घाटी हैं जिनके बारे में अभी तक पुख्ता साबुत नहीं मिल पाया हैं ।काफी सारे शोधार्थियों ने इन सब के बारे में खोजबीन लेकिन इतनी म्हणत के बाद भी इनके हाथ कुछ नहीं लगा ।आज हम आप के लिए कुछ ऐसी जगह इंसान और घटनाओ के बारे में बताने जा रहे हैं जो की आज के समय में पहेली बने हुए हैं और बड़े से बड़े लोग इन्हे सुलझा नहीं पाए हैं ।
जुड़वाँ बच्चों का गांव
हमारे देश में केरला के अंदर एक ऐसा गांव बना हुआ हैं जहा ज्यादातर जुड़वाँ बच्चे ही पैदा हुआ करते हैं ।आप की जानकारी के लिए बता दे की इस गांव में करीब 200 जुड़वाँ बच्चे हैं और ऐसा क्यों हो रहा हैं इसके बारे में भी अभी तक पता नहीं चल पा रहा हैं ।
‘ताज महल’ में ‘शिव मंदिर’
आज के समय में ताज महल को कौन नहीं जनता है।हम बचपन से ये ही सुनते आये हैं की शाहजहां ने मुमताज की याद में ताज महल बनवाया था। लेकिन आप को ये भी बता दे की ये ताज महल आगरा में स्थित है लेकिन आप को बता दे की ये बात भी सुनी गयी हैं की ताज महल पहले शिव मंदिर हुआ करता था जिसका नाम ‘तजो महालय’ था और शाहजहां ने इस पर कब्ज़ा कर के मुमताज की कब्र बनवा दी ।
बुलेट की पूजा
आप को ये खास जानकारी बता दे की राजस्थान के पाली जिले में एक ऐसा गांव हैं जहा बुलेट की पूजा की जाती हैं ।लेकिन यहाँ के लोग का कहना है की साल 1988 में ओम सिंह राठौर अपनी बुलेट से ससुराल जा रहा था। तभी पेड़ से टकराने उसकी मौत हो गई। इसके बाद पुलिस उसकी गाडी स्टेशन ले गयी थी लेकिन ये गाडी अपने आप इसी जगह पर वापस आगयी थी और ऐसा काफी बार हुआ ।इसके बाद इसे यही रख दिया गया और लोगो ने इसके चमत्कार मान कर इसकी पूजा करने लग गए ।
हवा में लटका स्तंभ
आंध्रप्रदेश के लेपाक्षी मंदिर में लगभग 70 स्तंभ है। लेकिन एक स्तंभ ऐसा है जो हवा में लटका हुआ है मतलब बिना सहारे के। मंदिर में आने-जाने वाले लोग और वहां के पंडित भी ये देखकर हैरान हैं। और बता दे की स्तंभ के बीच से कपड़ा निकालकर भी देखते हैं।