ब्रेकथ्रू ब्लीडिंग (बीटीबी)
प्रेग्नेंसी के दौरान इस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा कम होने पर ब्लीडिंग होती है। इस ब्लीडिंग की वजह से महिलाओं को लगता है कि उनके पीरियड्स चल रहे हैं। यही वजह है कि वह यह समझ ही नहीं पाती हैं कि वह गर्भवती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि गर्भनिरोधक पिल्स लेने की वजह से यह समस्या होती है।
गर्भाशय (यूट्रस) में समस्या
कई महिलाओं के यूट्रस यानी गर्भाशय बाइकोरनुएट यानी दिल के आकार के होते हैं। सरल भाषा में कहें तो उनके गर्भाशय में दो हिस्से होते हैं जो सेप्टम से विभाजित होते हैं। यानी कुछ महिलाओं के गर्भ में दो हिस्से होते हैं। प्रेग्नेंसी उनके गर्भ के एक हिस्से में होता है, वहीं दूसरे हिस्से से माहवारी संभव है। यही वजह है कि पीरियड्स जारी रहने की वजह से कुछ महिलाओं को पता ही नहीं होता कि वह गर्भवती हैं।
प्रेग्नेंसी टेस्ट
ज्यादातर महिलाएं घर पर ही प्रेग्नेंसी टेस्ट करती हैं। वैसे तो यह कई दफा सही नतीजे देते हैं। मगर विशेषज्ञों का कहना है कि यह टेस्ट करते वक्त अगर ह्यूमन क्रोनिक गोनाडोट्रोपिन (hCG) का स्तर सही ना हो, तो नतीजे गलत हो सकते हैं। लिहाजा, खून की जांच के आधार पर ही प्रमाणिक तौर पर साबित हो सकता है कि महिला गर्भवती है या नहीं।
अनियमित पीरियड
महिला प्रेग्नेंट है या नहीं, इसका पहला सबूत तब मिलता है जब किसी महीने उसके पीरियड्स शुरू नहीं होते। लेकिन उन महिलाओं का क्या जिन्हें इसकी आदत हो चुकी है? बढ़ती उम्र और बदलती लाइफस्टाइल की वजह से महिलाओं में अनियमित पीरियड की समस्या शुरू हो गई है। यही वजह है कि कुछ महिलाओं के पीरियड्स वक्त पर नहीं आते। संभव है कि जब किसी महीने वक्त पर माहवारी शुरू ना हो, तो उन्हें यही लगता होगा कि यह अनियमित प्री-मेन्सुरल साइकिल की वजह से ही हो।