भूकंप आने से पहले यह बुलबुल देती है अलर्ट कॉल
अभी तक ऐसी कोई तकनीक नहीं आई है जिससे की भूकंप के आने का अलर्ट पहले मिल जाया करे। भूकंप के झटके घनी आबादी में बड़ी तबाही ला सकते हैं और बल्कि लेकर आते हैं। हालांकि भूकंप के आने से पहले इसकी जानकारी मिल जाए ऐसी तकनीकी पर दुनिया भर में बड़ा बजट रखा जा रहा है। लेकिन प्रकृति में कई ऐसे संसाधन हैं जिनसे भूकंप की तबाही का पहले से अलर्ट मिलने लगता है।
ऐसा ही एक प्रकृति का संसाधन हैं बुलबुल और वो भी हिमालय के क्षेत्रों में पाई जाने वाली। हिमालय क्षेत्रों में पाई जाने वाली बुलबुल एक ऐसी ही चिड़िया है जो भूकंप से काफी पहले धरती में वाइब्रेशन पैदा होते ही अलर्ट कॉल देने लगती है। ये वाइब्रेशन चट्टानी भूमि पर 30-35 सेकंड पहले और सामान्य जमीन पर करीब 10-15 दिन पहले ही आने लगते हैं, जबकि इस वाइब्रेशन का इंसान को एहसास तक नहीं हो पाता है। जूलोजिकल सर्वे आफ इंडिया ने हिमालयन बुलबुल पर पहला विस्तृत शोध पूरा किया है। यह बुलबुल सिर्फ हिमालयी क्षेत्र में पाई जाती है, जिसके आशियाने निचले और मध्य हिमालयी क्षेत्र में होते हैं। यह बुलबुल बर्फ लाइन के नीचे रहती है।
यह हिमालयी क्षेत्र में आने वाले खतरों को बताने के साथ ही यहां के इको सिस्टम का अहम घटक भी है। हिमालयन बुलबुल कंद-मूल, फल खाती है। इसकी बीट से पेड़ों के बीज और वनस्पतियां दूर तक फैलती हैं। जब भी तेज भूकंप और आपदा का खतरा बढ़ता है तो बुलबुल की बेचैनी बढ़ जाती है।
इस तरह से यह दो तरह की अलर्ट कॉल देती है। पहली और छोटी अलर्ट कॉल में यह पता चलता है कि आवाज कहां से आ रही, लेकिन बड़ी अलर्ट कॉल की फ्रीक्वेंसी और पिच आवाज का बोद तो कराती है, लेकिन यह कहां से आ रही है, पता नहीं चलता।
विज्ञानियों के मुताबिक जब भी संदिग्ध परिस्थितियां पैदा होती हैं बुलबुल अलर्ट कॉल देने लगती है। सबसे दिलचस्प इसके गायन कॉल होते हैं। इसे स्थानीय लोग हिमालयन सिंगर भी कहते हैं।
हिमालयन बुलबुल का मस्तिष्क अधिक विकसित होता है जिससे इसकी संवेदनशीलता बढ़ जाती है। अगर व्यक्ति इसकी कॉल को समझ लें तो खतरे को पहले भांप सकते हैं। संदिग्ध परिस्थितियों में भी यह अलार्म कॉल देती है।