नई दिल्ली : बॉम्बे हाईकोर्ट ने अदालत की “अवमानना” के 13 साल पुराने मामले में एक वकील को एक हफ्ते की जेल की सज़ा सुनाई| वकील ने निचली अदालत के एक जज के लिए अपशब्द कहे थे, और उनकी तरफ नोटबुक फेंक दी थी| निचली अदालत के एक जज ने 55 साल के वकील रामचंद्र कागने के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली अवमानना याचिका हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच में दाखिल की गई थी| जस्टिस टी वी नलवाडे और जस्टिस विभा कांकनवाडी की बेंच ने बीते शुक्रवार को कागने को एक हफ्ते की कारावास की सजा सुनाई| इसके साथ ही वकील पर 2000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया|
दालत ने फैसला सुनाते हुए कहा, कि न्यायिक प्रशासन के क्षेत्र में दखल, खासकर एक वकील की ओर से ऐसा होना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता| ये मामला अक्टूबर 2005 का है, जब कागने रेप के एक मामले में आरोपी की तरफ से महाराष्ट्र के परभनी में डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट के जज अशोक बिलोलीकर के सामने पक्ष रखा था| इस दौरान जज ने आरोपी को दोषी ठहराया था| जज ने खुली अदालत में फैसला सुनाकर सभी पक्षों को सजा पर बहस के लिए आमंत्रित भी किया|
जब कागने बहस के लिए आए, तो उसने जज के खिलाफ नारे लगाने शुरू कर दिए| हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार, कागने ने जज को “मूर्ख” कहा| उसने जज से सजा नहीं सुनाने को भी कहा| इसके बाद वकील ने स्टेनोग्राफर की नोटबुक खींचकर जस्टिस बिलोलीकर की ओर उछाली| नोटबुक कोर्ट रूम में मौजूद एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को लगी| जज बिलोलीकर ने कागने को अनुशासन बनाए रखने की नसीहत दी, लेकिन वह नहीं माने|जिसके बाद उनपर कोर्ट की अवमानना का केस चला|
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