अभिव्यक्ति की आजादी पर मिली हजार कोड़ों की सजा
लंदन : अपने ब्लॉग पर सऊदी अरब की सरकार और इस्लाम के आला विद्वानों के बारे में राय जाहिर करने के कारण एक हजार कोड़े और 10 साल की जेल भुगत रहे सऊदी ब्लॉगर रईफ बदावी एक बार फिर चर्चा में हैं। सऊदी सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पूर्व में सुनाई गई सजा को बरकरार रखा है। बदावी की पत्नी इंसाफ हैदर ने अगले हफ्ते से उन पर कोड़े बरसाने की सजा दोबारा शुरू होने की आशंका भी जताई। बदावी को 2012 में इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों पर इस्लाम का अपमान करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पिछले साल मई में उन्हें 10 साल कैद और एक हजार कोड़े मारे जाने के साथ ही 10 लाख रियाल (एक करोड़ 70 लाख रुपये) जुर्माने की सजा सुनाई गई। सजा की शुरुआत इसी साल जनवरी में हुई। जेद्दा में 9 जनवरी को उन्हें शुक्रवार की नमाज के बाद सरेआम 50 कोड़े लगाए गए थे।
इस घटना के सार्वजनिक होने के बाद पूरी दुनिया के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सऊदी सरकार की आलोचना की। कोड़े मारे जाने से आई चोटों के कारण उनकी सजा कुछ दिनों के लिए रोक दी गई थी। जून 2014 के बाद से उनके ब्लॉग पर कोई नया पोस्ट नहीं है। मई 2014 में उन्हें सजा सुनाने वाले जज ने उनके ब्लॉग को बंद करने का आदेश भी दिया था। सऊदी अरब में 13 जनवरी 1981 को जन्मे बदावी को अपने ही देश के वकील वालिद अबुल खैर के साथ इस साल के नोबेल शांति पुरस्कारों के लिए नामित किया गया था। उनके नाम का प्रस्ताव 18 नाम पुरस्कार विजेताओं ने किया था। उन्होंने किंग अब्दुल्ला यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के अध्यक्ष जीन लू कैमियू को पत्र लिखकर समर्थन की मांग की थी।