अद्धयात्मजीवनशैली

गणेश चतुर्थी 2018 : गणेश पूजन के समय रखें सावधानी


नई दिल्ली : साल भर में पड़ने वाली चतुर्थियों में गणेश चतुर्थी को सबसे बड़ी चतुर्थी माना जाता है। भगवान गणेश के जन्मदिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। इस महीने गणेश चतुर्थी 13 सितंबर को पड़ रही है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। शुक्ल पक्ष के भाद्रपद को गजानन का जन्म हुआ था इसलिए हर वर्ष इसदिन गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार, गणेश चतुर्थी इस महीने 13 सितंबर 2018 से शुरू हो रहा है, जो अगले 10 दिनों तक चलेगा। इसी दिन समस्त विघ्नग बाधाओं को दूर करने वाले, कृपा के सागर तथा भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी का आविर्भाव हुआ था। गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव, 10 दिन के बाद, अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है और यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़क पर जुलूस निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा का सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन करते हैं। भगवान गणेश की गणेश-चतुर्थी के दिन सोलह उपचारों से वैदिक मन्त्रों के जापों के साथ पूजा की जाती है। भगवान की सोलह उपचारों से की जाने वाली पूजा को षोडशोपचार पूजा कहते हैं। गणेश-चतुर्थी की पूजा को विनायक-चतुर्थी पूजा के नाम से भी जाना जाता है। भगवान गणेश को प्रातःकाल, मध्याह्न और सायाह्न में से किसी भी समय पूजा जा सकता है। परन्तु गणेश-चतुर्थी के दिन मध्याह्न का समय गणेश-पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मध्याह्न के दौरान गणेश-पूजा का समय गणेश-चतुर्थी पूजा मुहूर्त कहलाता है। इस महापर्व पर लोग प्रातः काल उठकर सोने, चांदी, तांबे अथवा मिट्टी के गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर षोडशोपचार विधि से उनका पूजन करते हैं। गणेश पूजन विधि को 16 भागों में कहा गया है जिसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ, आचमन, स्नान, वस्त्र, गंध, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, द्रव्य दक्षिणा, आरती, परिक्रमा (प्रदक्षिणा) को 16 उपचार माना गया है।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि
16 उपचार का अर्थ है- पूजा के 16 तरीके। इन 16 तरीकों से पूजन शुरू करने से पहले सकंल्प लें। षोडशोपचार पूजा में सभी सोलह उपचार शामिल हैं। दीप-प्रज्वलन और संकल्प, पूजा प्रारम्भ होने से पूर्व किये जाते हैं। अतः दीप-प्रज्ज्वलन और संकल्प षोडशोपचार पूजा के सोलह उपचारों में सम्मिलित नहीं होते हैं। इस पूजा में गणपति को 21 लड्डुओं का भोग लगाने का विधान है। यदि भगवान गणपति आपके घर में अथवा पूजा स्थान में पहले से ही प्रतिष्ठित हैं तो षोडशोपचार पूजा में सम्मिलित आवाहन और प्रतिष्ठापन के उपचारों को नहीं करना चाहिए। आवाहन और प्राण-प्रतिष्ठा नवीन गणपति मूर्ति (मिट्टी अथवा धातु से निर्मित) की ही की जाती है।

सभी बॉलीवुड तथा हॉलीवुड मूवीज को सबसे पहले फुल HD Quality में देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

Related Articles

Back to top button