नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निजी सचिव रहे आरके धवन ने कहा है कि उन्होंने इलाहबाद हाईकोर्ट द्वारा उनका चुनाव रद्द करने के तुरंत बाद इस्तीफा देने का निर्णय कर लिया था। धवन ने कहा कि इंदिरा गांधी ने इस्तीफा पत्र टाइप भी करा लिया था, लेकिन मंत्रिमंडल के कई सहयोगियों के विरोध के बाद उन्होंने इसे आगे नहीं बढ़ाया। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद ही देश में आपातकाल लगाया गया था। धवन ने यह बात देश में आपातकाल के 40 वर्ष पूरे होने से दो दिन पहले मंगलवार को कही। आपातकाल के समय भारतीय राजनीति के केंद्र में रहे धवन ने एक चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि आपातकाल की घोषणा पूर्व प्रधानमंत्री के राजनीतिक करियर को बचाने के लिए नहीं की गई थी। राजीव गांधी और सोनिया गांधी को आपातकाल को लेकर कोई आपत्ति नहीं थी। तीन-चार वर्षों से ऐसे हालात बन रहे थे, जिससे देश में आपातकाल लगाना जरुरी हो गया था। इस संदर्भ में उन्होंने रेलवे की हड़ताल, एलएन मिश्रा हत्याकांड तथा जयप्रकाश नारायण द्वारा सेना और पुलिस से अवैध आदेशों का पालन न करने का आह्वान जैसी बातों का उल्लेख किया। धवन ने कहा, चुनाव रद्द करने की खबर सुनने के बाद इंदिरा गांधी की पहली प्रतिक्रिया इस्तीफा देने की थी। उन्होंने इस्तीफा टाइप भी करवा लिया था, लेकिन मंत्रिमंडल सहयोगियों के विरोध के बाद उस पर हस्ताक्षर नहीं किए। धवन के अनुसार, पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे आपातकाल के सूत्रधार थे। आठ जनवरी 1975 को रे ने पूर्व प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आपातकाल लगाने का सुझाव दिया था। फिर चुनाव रद्द करने के बाद उसी वर्ष जून में उन्होंने आपातकाल की जोरदार वकालत की।