इंडोनेशिया में भूकंप और सुनामी से मरने वालों की संख्या पहुंची 1,203
जकार्ता। इंडोनेशिया में भूकंप और सुनामी के कारण हर तरफ तबाही ही तबाही है। तबाही का मंज़र ऐसा है की भूकंप और सुनामी के बाद बड़ी संख्या में अस्पताल आए घायलों के इलाज के लिए अस्पतालों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। प्रभावित शहरों की सड़कों पर शव पड़े हैं और अस्पताल धराशाई होने की वजह से घायलों का इलाज टेंटों में किया जा रहा है। एक स्थानीय महिला ने बताया कि हर मिनट एंबुलेंस शव लेकर आ रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार अभी तक मृतकों की संख्या बढ़कर 1,203 पहुंच चुकी है और आने वाले वक्त में इसके और भी बढ़ने की उम्मीद बरक़रार है।आपदा प्रबंधन एजेंसी के मुताबिक, भूकंप से मरने वालों की संख्या दो हजार तक हो सकती है। अब तक ज्यादातर मौतें पालू शहर में दर्ज की गई। सुनामी और भूकंप के कारण पहली बार इंडोनेशिया में जनजीवन बेहाल नहीं हुआ है। 2004 में भी सुनामी की त्रासदी को इंडोनेशिया झेल चुका है। अधिकारियों का कहना है कि अभी भी बहुत से लोग लापता हैं जिनमें से कई मलबे में दबे हैं। सुलावेसी द्वीप का प्रमुख शहर पालू और भूकंप के केंद्र के पास स्थित डोंगाला शहर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। प्रभावित लोगों तक राहत पहुंचाने के लिए इंडोनेशिया की सेना को उतारा है। इंडोनेशिया के उपराष्ट्रपति यूसुफ काला का कहना है कि अभी भूकंप के केंद्र बिंदू के पास स्थित शहर डोंगाला से हुए नुकसान का पूरा ब्यौरा नहीं मिला है। यहां मरने वालों की तादाद हजारों में हो सकती हैं। डोंगाला में करीब तीन लाख लोग रहते हैं। बचावकर्मी अभी तक पालू शहर तक ही पहुंच पाए हैं। डोंगाला के कई दूरस्थ इलाकों तक पहुंचने में अभी कामयाबी नहीं मिली है। सरकार की आपात सेवा एजेंसी के प्रवक्ता सुतोपो पूर्वो नूगोरो का कहना है कि कई जगह सुनामी की लहरें 20 फीट तक ऊंची थीं और लोगों ने इससे अधिक ऊंचाई के पेड़ों पर चढ़कर अपनी जान बचाई है। सुलावेसी द्वीप के मुख्य शहर पालू में हजारों लोग आपात केंद्रों में रह रहे हैं। सुलावेसी द्वीप में भूकंप और सुनामी के बाद खाने और पीने का पानी मिलना काफी दुर्लभ हो गया है। छोटे बाजारों में हर तरफ लूट मची हुई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि भूकंप के बाद ज्यादातर लोग ऊंचे इलाकों में चले गए हैं। पालू के रोआ-रोआ होटल में बचाव कर्मियों के सेना को उतारा गया है। होटल में 150 से ज्यादा लोगों के दबे होने की आशंका है। इसमें से कईयों के जीवित होने की भी संभावना है। बचाव कर्मियों ने एक महिला को जीवित भी निकाला है। होटल के मलबे से फंसे हुए लोगों की आवाजें सुनाई दे रही हैं। फंसे हुए लोग मदद की गुहार लगा रहे हैं। सुलावेसू द्वीप पर भूकंप के झटके आने का सिलसिला अभी भी जारी है। इसकी वजह से लोगों में दहशत है। गौरतलब है कि शुक्रवार को आए 7.5 तीव्रता वाले भूकंप और करीब 20 फीट ऊंची सुनामी की लहरे उठी थीं। जिसने द्वीप में भयंकर तबाही मचाई है। इंडोनेशिया के एक वायु यातायात नियंत्रक की मरणोपरांत हीरो के रूप में वाहवाही हो रही है। यातायात नियंत्रक ने भयावह भूकंप के बावजूद अपनी जगह नहीं छोड़ी थी ताकि यात्री विमान को सुरक्षित उतारने में मदद कर सके। 21 वर्षीय एंथोनियस गुनावान आगुंग पालू के मुशियारा एसआईएस अल-जफरी हवाईअड्डे पर वायु यातायात नियंत्रण टावर में तैनात थे। शुक्रवार को वह अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे तभी सुलावेसी द्वीप के इस शहर में भूकंप के झटके महसूस किए गए। अधिकारियों के मुताबिक, आगुंग ने बाटिक एयर के एक विमान के उतरने से पहले अपनी जगह छोड़ने से मना कर दिया। वहीं उनके कुछ सहकर्मी चले गए जिन पर विमान के नियंत्रण की जिम्मेदारी नहीं थी। इसी दौरान 7.5 तीव्रता का भूकंप का जोरदार झटका आया और साथ में सुनामी भी लाया। आगुंग ने बचने की कोशिश में चार मंजिला टॉवर से छलांग लगा दी। उनकी टांग टूट गई और गंभीर भीतरी चोट आईं। उन्हें पास के अस्पताल ले जाया गया जहां बाद में उनकी मौत हो गई।
सक्रिय ज्वालामुखियों का केंद्र इंडोनेशिया
दुनिया में पृथ्वी पर सक्रिय ज्वालामुखियों में सबसे अधिक इंडोनेशिया के आसपास के क्षेत्र में पड़ते हैं। ज्वालामुखियों की इसी संख्या के कारण इस इलाके को रिंग ऑफ फायर कहा जाता है। सक्रिय ज्वालामुखियों की संख्या भी इस इलाके में दुनिया में मौजूद ज्वालामुखियों का 50 फीसदी है। सक्रिय ज्वालामुखी इतनी अधिक होने के कारण यहां पृथ्वी पर आनेवाले भूकंप में 75% यहीं आते हैं। पिछले महीने भी इस क्षेत्र के लोम्बोक द्वीप पर आए शक्तिशाली भूकंप में 400 से अधिक लोग मारे गए थे। पैसेफिक रिंग ऑफ फायर ज्वालामुखियों की अधिकता के कारण भूतल के अंदर होनेवाली कई बड़ी गतिविधियों का केंद्र है। लगभग 25 हजार मील में फैले इस प्रभाव क्षेत्र का आकार घोड़े की नाल जैसा है, जिसमें दक्षिणी अमेरिका के साथ वेस्ट कोस्ट नॉर्थ अमेरिका की तरफ से लेकर निचले हिस्से में जापान और न्यूजीलैंड तक है और एशियाई हिस्से में इसके केंद्र में फिलीपींस और इंडोनेशिया इसके केंद्र में हैं और इसलिए यही भूकंप के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है।