टॉप न्यूज़फीचर्डब्रेकिंगव्यापार

RBI ने दिया बड़ा झटकाः महंगा हो सकता है लोन लेना, ब्याज दरों में हो सकती है बढ़ोतरी

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान रेपो रेट में 25 आधार अंक यानी 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है, क्योंकि महंगा कच्चा तेल तथा डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी से महंगाई के और बढ़ने की उम्मीद है।

RBI ने दिया बड़ा झटकाः महंगा हो सकता है लोन लेना, ब्याज दरों में हो सकती है बढ़ोतरीचौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति पर निर्णय लेने के लिए मौद्रिक नीति समिति तीन अक्तूबर से अपनी तीन दिवसीय बैठक शुरू करेगी। लगातार दो बार बढ़ोतरी के बाद मौजूदा समय में रेपो रेट 6.50 फीसदी पर है।

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राजकिरण राय जी ने कहा कि पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों में वृद्धि के मद्देनजर, महंगाई बढ़ने की पूरी उम्मीद है। इसलिए आरबीआई इसके असर से पहले ही कदम उठा सकता है। मुझे लगता है कि रेपो रेट में 25 आधार अंक की बढ़ोतरी होगी। तेल की कीमतों में वृद्धि के बावजूद महंगाई का आंकड़ा जुलाई के 4.17 फीसदी के मुकाबले अगस्त में 3.69 फीसदी पर रहा।

रुपये में गिरावट हो सकती है अहम वजह

अगर आरबीआई रेपो रेट 25 आधार अंक बढ़ाती है, तो यह लगातार तीसरी बार दर में बढ़ोतरी होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट भी केंद्रीय बैंक को रेपो रेट बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा।

एचडीएफसी के वाइस चेयरमैन एवं मुख्य कार्यकारी केकी मिस्त्री ने कहा कि इस वक्त रुपया जिस स्तर पर है, उसे देखते हुए मुझे लगता है कि आरबीआई रेपो रेट में एक चौथाई आधार अंक की बढ़ोतरी करेगा।

वैश्विक घटनाक्रमों पर नजर डालें, तो रुपया कमजोर हुआ है और यह डॉलर के मुकाबले 73 के आसपास है। एसबीआई ने अपने शोध रिपोर्ट इकोरैप में कहा कि रुपये में गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई को नीतिगत दर में कम से कम 25 आधार अंक की बढ़ोतरी करनी चाहिए।

तटस्थ रुख में होगा बदलाव

शोध रिपोर्ट के मुताबिक, हम रेपो रेट में 50 आधार अंक की बढ़ोतरी की बात खारिज करते हैं, क्योंकि इससे बाजार में अफरातफरी मच सकती है। हालांकि तटस्थ रुख में बदलाव की भी संभावना बनती है, क्योंकि लगातार तीन बार दर में बढ़ोतरी के साथ तटस्थ रुख आरबीआई के संदेश को परस्पर विरोधी बना सकता है।

मॉर्गन स्टेनली ने एक रिपोर्ट में कहा कि उसे उम्मीद है कि आरबीआई अक्तूबर में मौद्रिक नीति समिति की बैठक के दौरान नीतिगत दर बढ़ा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, हाल में उभरते बाजार (इमरजिंग मार्केट) में स्थिरता के बावजूद डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट की उम्मीद है, जिसका कारण एक स्थानीय वित्तीय कंपनी के हाल में डिफॉल्ट होने, तेल की कीमतें तथा राजकोषीय घाटा बढ़ने को लेकर चिंता है।

मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के डिफॉल्ट करने के कारण कॉरपोरेट स्प्रेड में बढ़ोतरी हुई है और घरेलू वित्तीय संस्थानों पर रिफाइनेंसिंग का दबाव बढ़ा है, वह भी ऐसे समय में जब हमारे अर्थशास्त्री को उम्मीद है कि आरबीआई अक्तूबर की बैठक में नीतिगत दर में बढ़ोतरी करेगा।

सीआरआर घटने की संभावना नहीं

कोटक इकनॉमिक रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विकास दर में अपेक्षित चक्रीय सुधार के अंतर्निहित प्रभाव, रुपये की कमजोरी तथा मध्यम अवधि में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के आधार पर एमपीसी अक्तूबर में रेपो रेट में 25 आधार अंक की बढ़ोतरी कर सकता है।

Related Articles

Back to top button