राजकोट: गुजरात में गिर के जंगलों में मंगलवार को दो और शेरों की मौत हो गई। इन्हें मिलाकर पिछले 22 दिनों में यहां 23 शेरों की मौत हो चुकी है। इनमें से कम से कम 10 में इन्फेक्शन की पुष्टि हुई है। विशेषज्ञ इन शेरों को एक ही जगह पर रखने का विरोध करते रहे हैं। उनका मानना है, कि बीमारी या प्राकृतिक आपदा में इनके एकसाथ खत्म हो जाने का खतरा है। वन विभाग के अफसरों के मुताबिक, 19 सितंबर तक 11 शेरों की मौत अमरेली जिले के दलखनिया रेंज के सरसिया इलाके में हुई थी। 20 से 02 अक्टॅबूर तक 12 और शेरों की मौत इलाज के दौरान हो गई। शनेनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलोजी पुणे की रिपोर्ट में इनमें से चार में वायरस और छह में प्रोटोजोआ संबंधी संक्रमण पाया गया। एहतियात के तौर पर 31 शेरों को जामवाला के पशु चिकित्सा केंद्र की निगरानी में रखा गया है। इसके लिए बरेली के वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, इटावा के बाघ सफारी और दिल्ली जू के विशेषज्ञों की सेवाएं ली जा रही हैं। एहतियात के तौर पर अमेरिका से कुछ टीके मंगाए जा रहे हैं। राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र के तीन जिलों गिर सोमनाथ, अमरेली और जूनागढ़ में 1800 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले गिर वन में 2015 में 523 शेर थे। 2010 की यह आंकड़ा 411 था। यानी पांच साल में इनमें करीब 27% की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। पिछले दिनों गिर के जंगलों में दो साल में 184 शेरों की मौत की रिपोर्ट आई थी। इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए रिपोर्ट तलब की थी|