दिल्ली के 1,350 किलोमीटर करीब अंडरग्राउंड बम प्रूफ शेल्टर बनाकर चीन ने उड़ाई भारत की नींद
नई दिल्ली। भारत के लिए उसके पड़ोसी देश चीन से हमेशा से ही तनातनी रही है। अगर चीन को कोई मौका मिलता भी है तो वो नहीं चुकता। इतना ही नहीं चीन भारत छेड़खानी करता रहता है। ताज़ा मामला देखने को मिला है ल्हासा में जहाँ तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीआरए) में चीन की तरफ से ल्हासा के गोंगर एयरपोर्ट पर चीन ने अपने सैनिकों के लिए अंडरग्राउंड बम प्रूफ शेल्टर बनाया है। जिसने भारत की परेशानी की चिंता की लकीरें उकेर दी है। इस पूरे मामले से वाकिफ आधिकारिक सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है। गोंगर एयरपोर्ट की दूरी नई दिल्ली से मात्र 1,350 किलोमीटर है। सुरक्षा से जुड़े तीन अधिकारियों ने दावा किया कि पहले इस हवाई पट्टी का इस्तेमाल क्षेत्रीय संपर्कों को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था। लेकिन, अब इसे पूरी तरह से सैन्य छावनी के रूप में तब्दील किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि ‘टैक्सी ट्रैक’ नीति के तहत चीन ने हवाई पट्टी से शुरूआत कर इसे पूरी तरह छावनी में तब्दील कर दिया है। इसमें तीन स्क्वैड्रोन यानि 36 लड़ाकू विमानों को रखा जा सकता है। हाल के महीनों में भारत और चीन के बीच आपसी रिश्तों में गर्मजोशी आई है। प्रधानंमत्री नरेन्द्र मोदी एक अनौपचारिक सम्मेलन के दौरान वुहान में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक की। जिसके बाद दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को और बेहतर बनाने पर जोर दिया। लेकिन, यह मेल-मिलाप पिछले साल हुए डोकलाम विवाद के बाद हुआ है, जब दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ गए थे और युद्ध तक की नौबत आ गई थी। इन सबके बावजूद दोनों देशों के सुरक्षा प्रतिष्ठानों की तरफ से लगातार एक दूसरे की क्षमता पर बेहद करीब से निगाहें रखी जा रही हैं। अधिकारी ने बताया- लड़ाकू विमानों के लिए आपको ब्लास्ट या बम्ब प्रूफ हैंगर्स की तभी जरुरत पड़ती है जब युद्ध की स्थिति आती है। युद्ध की स्थिति में खुले में लड़ाकू विमानों को रखना की काफी जोखिम भरा है। इसलिए, इसे सुरक्षित रखने के लिए बम्ब प्रुफ शेल्टर्स बनाए जाते हैं और चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (वायु सेना) के पास ऐसी सुविधा रुस से लगती सीमा के पास है और भारत-चीन सीमा के पार तिब्बत क्षेत्र में इस तरह के ‘अंडरग्राउंड बम्ब प्रूफ’ फैसिलिट नया डेवलपमेंट है।