विवेक तिवारी हत्याकांड मामले में डीजीपी बोले- अपने जवानों पर मुझे पूरा भरोसा, नहीं करेंगे गैरकानूनी काम
लखनऊ : राजधानी में विवेक तिवारी हत्याकांड में आरोपी सिपाही प्रशांत चौधरी और संदीप पर कार्रवाई के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस लामबंद होती नजर आ रही है। इसे लेकर सामूहिक अवकाश और काला दिवस जैसी बातें सामने आ रही हैं। इस बीच गुरुवार को प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने मामले में कहा कि यूपी में कहीं भी सिपाहियों के विरोध की स्थिति नहीं है। हालांकि साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि हमारे अधिकारी सिपाहियों से वार्ता कर रहे हैं। डीजीपी ने कहा कि सभी सिपाही खुश हैं, उन्होंने कहा कि कोई भी पुलिसकर्मी कानूनी, गैरकानूनी काम करेगा तो उस पर कार्रवाई होगी। हमारे जवानों का मनोबल बहुत ऊंचा है। मुझे अपने जवानों पर विश्वास है और वह कोई ग़ैरकानूनी काम नहीं करेंगे।
डीजीपी ने कहा कि सोशल मीडिया पर भ्रामक फोटो चल रही है। बनारस की दो साल पहले की फोटो चल रही है। गौरतलब है, विवेक तिवारी की हत्या के आरोपी सिपाही प्रशांत चौधरी और संदीप पर कार्रवाई के खिलाफ यूपी राज्य पुलिस कर्मचारी परिषद की ओर से व्हाट्सएप पर मैसेज भेजा जा रहा है, जिसमें विवेक तिवारी हत्याकांड में सिपाहियों पर कार्रवाई को एकतरफा बताते हुए विरोध की तैयारी की गई है। 6 अक्टूबर को यूपी राज्य पुलिस कर्मचारी परिषद ने इसके लिए इलाहाबाद में मीटिंग बुलाई है। बैठक में पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई, अवकाश की समस्या, आत्महत्या और हत्या के विरोध से जुड़ी रूपरेखा तय होगी। एक अन्य संगठन अराजपत्रित पुलिस वेलफेयर एसोसिएशन यूपी ने 5 अक्टूबर को काला दिवस मनाने का ऐलान किया है, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। मामले में यूपी राज्य पुलिस कर्मचारी परिषद के जनरल सेक्रेटरी अविनाश पाठक से बातचीत में बताया काला दिवस तो 1 अक्टूबर से ही मनाया जा रहा है। 2 अक्टूबर को छुट्टी की वजह से इस पर ज्यादा फोकस नहीं हो पाया। 6 अक्टूबर को इलाहाबाद में होने वाली बैठक में बड़ा फैसला लिया जाएगा। कोशिश यही है कि सूबे के सभी पुलिस सिपाही एक दिन के अवकाश पर जाएंगे। भले ही वह एक घंटे के लिए हो या फिर एक दिन के लिए। उन्होंने कहा कि विवेक तिवारी हत्याकांड में सिर्फ एकतरफा कार्रवाई हुई, इसके अलावा भी कई मुद्दे हैं। समस्याएं बहुत सारी हैं, रात में जो गश्त होता है, उसमें अधिकारी मुआयना करते हैं और लिखित में दर्ज होता है कि सिपाही काम कर रहा है। इसमें सभी लोगों की जिम्मेदारी थी, लेकिन सिर्फ सिपाहियों पर ही कार्रवाई क्यों? गोली मार दी सिर्फ इस पर कार्रवाई हो रही है। गोली क्यों मारी इस पर जांच क्यों नहीं हो रही है? जिसकी भी मौत हुई वह गलत है, लेकिन आखिर गोली उसने क्यों मारी? ऐसी क्या परिस्थिति पैदा हुई जो गोली चलानी पड़ी। असलहा तो पुलिस के पास हमेशा रहता है, क्या वह गोली चला देता है? जांच तो इसकी भी होने चाहिए। गौरतलब है कि विवेक तिवारी हत्याकांड को लेकर आरोपी सिपाहियों प्रशांत चौधरी और संदीप के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई को लेकर यूपी पुलिस के सिपाहियों में ख़ासा आक्रोश है। यही वजह है कि बर्खास्तगी के बाद से ही व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर मुहिम छिड़ी हुई है। प्रशांत चौधरी की पत्नी राखी की अपील पर केस लड़ने के लिए उसके अकाउंट में लाखों रुपए ट्रान्सफर भी हो चुके हैं। बीते 1 अक्टूबर तक राखी के अकाउंट में 5.28 लाख रुपए जमा हो चुके थे। इससे पहले एसआईटी की टीम मंगलवार को इस मामले की एकमात्र चश्मदीद सना और मृतक विवेक तिवारी की पत्नी के साथ मौक-ए-वारदात पर घटनास्थल का मुआयना किया। इस दौरान सना के बयान के आधार पर क्राइम सीन को रीक्रिएट किया गया। वहीं विशेष जांच टीम (SIT) ने सना का बयान दर्ज किया है। इस दौरान एसआईटी जांच टीम के प्रमुख आइजी सुजीत पांडेय भी मौजूद रहे। गौरतलब है कि विवेक तिवारी की मौत के मामले की चश्मदीद सना ने पहली बार सोमवार को चुप्पी तोड़ी। उसने मीडिया को घटना की पूरी कहानी बताई। सना ने बताया, मैं घटना के वक्त विवेक के साथ ही गाड़ी में मौजूद थी। सर मुझे गाड़ी से घर छोड़ने जा रहे थे। रास्ते में सिपाही दिखाई दिए जो गुस्से में थे, इसलिए गाड़ी रोकना सही नहीं लग रहा था। हमारी कार सिपाहियों से टच भी नहीं हुई थी, हम लोगों की पुलिस के साथ कोई बहस भी नहीं हुई थी।