वेंडर घटाएं पुर्जों के आयात : मारुति सुजूकी
नई दिल्ली : दिग्गज कार विनिर्माता कंपनी मारुति सुजूकी ने अपने प्रमुख वेंडरों से कहा है कि वे अपने विदेशी आपूर्तिकर्ताओं को भारत में विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने को कहें। मारुति का मकसद इसके जरिये स्थानीयकरण को बढ़ावा देना और कारों के लिए कुल आयातित पुर्र्जों को आने वाले समय में करीब 8 फीसदी तक घटाना है। वर्तमान में कार विनिर्माता और इसके वेंडर औसतन 15 से 16 फीसदी पुर्जों को आयात करते हैं। डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आने से आयातित पुर्जों की लागत बढ़ रही है, जिससे उत्पादन का खर्च भी बढ़ रहा है। यह सच है कि मारुति सुजूकी की कारों में इस्तेमाल होने वाले स्थानीय पुर्जों की हिस्सेदारी 96 से 97 फीसदी है लेकिन इसके वेंडर कुछ उप-उत्पादों का आयात करते हैं। इसके परिणामस्वरूप वेंडर और कंपनी एकीकृत तौर पर करीब 15 से 16 फीसदी पुर्जों का आयात करती है। इनमें से आयातित इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की हिस्सेदारी करीब 8 फीसदी है। हालांकि आपूर्तिकर्ताओं के लिए केवल एक विनिर्माता के लिए देश में विनिर्माण संयंत्र स्थापित करना व्यावहारिक नहीं होगा क्योंकि उनके उत्पादों की बिक्री कम होगी। इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों के आपूर्तिकर्ताओं को संयंत्र लगाने पर भारी निवेश करना होता है, ऐसे में उन्हें काफी ज्यादा मात्रा में पुर्जों की मांग की जरूरत होगी। ऐसे में अन्य कंपनियों तथा दूसरे उद्योगों को इसमें शामिल करना होगा। भार्गव ने कहा कि अभी कंपनी और उसके वेंडर 7 से 8 फीसदी पुर्जों को आयात करते हैं जिसे भारत में बनाया जा सकता है और डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट से इसका फायदा भी मिल सकता है। हालांकि उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स के स्थानीयकरण को सरकार द्वारा मेक इन इंडिया अभियान के तहत भी बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है। अपनी अन्य प्रतिस्पर्द्धियों से इतर मारुति सुजूकी ने बीते कुछ वर्षों में स्थानीयकरण की व्यापक योजना बनाई है। इसका कंपनी को लाभ भी मिल रहा है और उसे अपनी लागत कम करने में भी मदद मिली है। दूसरी ओर अन्य कंपनियां अपनी कारों के पुर्जों के लिए काफी हद तक आयात पर निर्भर हैं, ऐसे में उनकी कारों की लागत भी ज्यादा होती है।