चीन बॉर्डर पर भारत बना रहा दुनिया की सबसे ऊंची और मुश्किल रेल लाइन
लद्दाख का सुदूर उत्तरी कोना देश की राजधानी दिल्ली से रेल लाइन से जुड़ने जा रहा है. इस दिशा में भारतीय रेलवे तेजी से काम कर रहा है. इस रेल सेक्शन का नाम बिलासपुर-मनाली-लेह लाइन होगा. रणनीतिक रूप से इसका खास महत्व है क्योंकि कुछ ही दूरी पर चीन की सीमा पड़ती है. पहले फेज का लोकेशन सर्वे पूरा कर लिया गया है. अगले 30 महीनों में अंतिम लोकेशन सर्वे पूरा हो जाने की उम्मीद है. इसके बाद परियोजना की रिपोर्ट फाइनल की जाएगी.
रेलवे इस लाइन को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की तैयारी में है. भारतीय रेलवे के इतिहास में इस लाइन का निर्माण सबसे मुश्किल माना जा रहा है क्योंकि काफी दुरूह इलाके में रेल लाइनें बिछाई जाएंगी. रेलवे ने हिमाचल प्रदेश के उपशी और लेह स्थित फे के बीच 51 किलोमीटर लंबी इस लाइन का निर्माण जल्द शुरू करने का प्रस्ताव आगे बढ़ा दिया है.
कैसे बनेगी यह लाइन और क्या होगा इसका महत्व, इसे 10 प्वाइंट्स से समझ सकते हैं-
1-बिलासपुल-मनाली-लेह रेल लाइन का प्रस्तावित खर्च 83,360 करोड़ रुपए है. यह 465 किलोमीटर लंबी लाइन होगी. प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद दुनिया की यह सबसे ऊंची लाइन होगी. निर्माण के बाद इस लाइन की ऊंचाई समुद्री सतह से 5,360 मीटर होगी. थोड़ी-बहुत इसकी बराबरी क्विंघाई-तिब्बत रेल लाइन से कर सकते हैं क्योंकि चीन स्थित यह लाइन भी समुद्री सतह से 2 हजार मीटर की ऊंचाई पर है.
2-लद्दाख में बनने वाली इस लाइन पर भारत-चीन सीमा के पास 30 स्टेशन होंगे. बिलासपुर और लेह को जोड़ने वाली यह लाइन सुंदरनगर, मंडी, मनाली, कीलोंग, कोकसर, दर्चा, उपशी और कारू से गुजरेगी. सभी स्टेशन हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर के होंगे.
3-लाइन से सुरक्षा बलों को काफी मदद मिलेगी. साथ ही लद्दाख क्षेत्र में पर्यटन बढ़ने से इलाके का तीव्र विकास होगा. केंद्र सरकार अगर इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दे देती है, तो ज्यादातर फंड उसे ही देना होगा. इससे लाइन का निर्माण जल्द संपन्न होने की संभावना बढ़ जाएगी.
4-465 किलोमीटर लंबी इस लाइन का 52 फीसदी हिस्सा सुरंग से होकर गुजरेगा. इसमें सबसे लंबा सुरंग 27 किलोमीटर का होगा. सुरंग के अंदर से कुल 244 किलोमीटर लाइन गुजरेगी. पहले फेज के सर्वे के मुताबिक, 74 सुरंग, 124 बड़े पुल और 396 पुलिया बनेंगी.
5-आनंदपुर साहिब रूट पर पड़ने वाले भानु पल्ली रेलवे स्टेशन से इस लाइन की शुरुआत होगी. यह इलाका काफी उबड़-खाबड़ है जिसमें भूस्खलन का खतरा हमेशा बना रहता है. ऊंचाई पर ऑक्सीजन का स्तर काफी घट जाता है और तापमान जीरो से नीचे चला जाता है.
6-उत्तर रेलवे के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण) आलोक कुमार के मुताबिक, बिलासपुर-मनाली-लेह रेल लाइन जम्मू और कश्मीर में बिछाई गई लाइन से भी ज्यादा मुश्किल है.
7-इस लाइन के फाइनल लोकेशन सर्वे पर 457.72 करोड़ रुपए खर्च आएगा. यह तीन अलग-अलग फेज में पूरा होगा-एलिवेशन मॉडल का डिजिटल इवैलूएशन, अलाइनमेंट और पुल-सुरंगों का भौगोलिक निरीक्षण.
8-इस रेल सेक्शन पर ट्रेन 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी. यह लाइन बनने के बाद दिल्ली से लेह के बीच सफर का समय 40 घंटे से घटकर 20 घंटे रह जाएगा.
9-लेह के बीजेपी सांसद तुप्सतन छेवांग ने रेल मंत्रालय को पत्र लिखकर इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग की है.
10-बाकी स्ट्रेच के मुकाबले उपशी और लेह के बीच की लाइन थोड़ी नरम है. 5 हजार करोड़ के प्रस्तावित इस प्रोजेक्ट का 2 साल में पूरा हो जाने की उम्मीद है.