अभी-अभी: SC/ST एक्ट पर मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा आदेश
![अभी-अभी: SC/ST एक्ट पर मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा आदेश](https://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2018/10/supreme-court-of-india_f_0.jpg)
SC/ST संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 20 नवंबर तक सुनवाई को टालते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह शुक्रवार तक अपना जवाब दाखिल करेगी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 20 नवंबर तक टाल दी। कोर्ट ने आदेश दिया है मोदी सरकार समय पर अपना जवाब दाखिल कर दे।
दरअसल पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते जवाब मांगा था। याचिकाकर्ता ने कानून के अमल पर रोक लगाने की मांग की थी। जिसपर कोर्ट ने कहा था कि सरकार का पक्ष सुने बिना कानून के अमल पर रोक नहीं लगाई जा सकती। आपको बता दें कि दो वकील प्रिया शर्मा, पृथ्वी राज चौहान और एक एनजीओ ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के केंद्र सरकार के एससी-एसटी संशोधन कानून 2018 को चुनौती दी गई है। साथ ही याचिका में एससी-एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक को बहाल करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि सरकार का नया कानून असंवैधानिक है क्योंकि सरकार ने सेक्सन 18 ए के जरिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी बनाया है जोकि गलत है और सरकार के इस नए कानून आने से अब बेगुनाह लोगों को फिर से फंसाया जाएगा।
याचिका में ये भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार के नए कानून को असंवैधानिक करार दे और जब तक ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहे, तब तक कोर्ट नए कानून के अमल पर रोक लगाए। आपको बता दें कि राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी करने वाले एससी/एसटी संशोधन कानून 2018 को मंजूरी दी थी। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद एससी/एसटी कानून पूर्व की तरह सख्त प्रावधानों से लैस हो गया है।
राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद संशोधन कानून प्रभावी हो गया है। इस संशोधन कानून के जरिये एससी एसटी अत्याचार निरोधक कानून में धारा 18 ए जोड़ी गई है जो कहती है कि इस कानून का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं है। और न ही जांच अधिकारी को गिरफ्तारी करने से पहले किसी से इजाजत लेने की जरूरत है।