अद्धयात्मजीवनशैली

क्यों विशेष है इस बार का करवा चौथ व्रत

ज्योतिष डेस्क : कार्तिक मास भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय है और इस मास में प्रत्यक तिथि पूजन से परिपूर्ण है, मुख्य रूप से करवाचौथ व्रत, प्रबोधिनी एकादशी एवं दीपावली। करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह सुहागिन स्त्रियों का व्रत है, इस व्रत में सुहागिन स्त्री अपने लिए अटल सुहाग, पति की दीर्घ आयु एवं पति के मंगल की कमाना करती है। इस व्रत में शिव परिवार और चन्द्रमा की पूजन का विधान है। इस बार करवा चौथ का व्रत अति विशेष इसलिए हो जाता है की चन्द्रमा अपने सबसे प्रिय नक्षत्र रोहाणी में रहेगा, जो की उनकी सबसे प्रिय पत्नी भी है। रोहाणी और चन्द्रमा का नाता पौराणिक है। रोहाणी नक्षत्र चन्द्रमा की उच्च राशि वृष में पड़ती है, जिस कारण चन्द्रमा यहाँ बलवान हो जाता है। चन्द्रमा हमारे मन का करक गृह है, हम जीवन में जो भी करते है वो मन के वशीभूत हो कर ही करते हैं। मन की गति बहुत ही सूक्ष्म होती है, मन मतवाले हाथी के समान है, मदमस्त होकर झूम-झूम का वृक्षों को तहस-नहस कर देता है, संरक्षक (पिलेवान) के बिना वह अपने मार्ग से भटक जाता है, इन्द्रियों के नियंत्रण के बिना मन उस पतवार विहीन नौका के समान अपने मार्ग (लक्ष्य) से भटक जाता है, लक्ष्य को प्राप्ति के लिये कबीर दास ने लिखा है चंचल मन निशचल करै, फिर फिर नाम लगाय, तन मन दोउ बसि करै, ताको कछु नहि जाये, अर्थात इस चंचल मन को स्थिर करें। इसे निरंतर प्रभु के नाम में लगावें और अपने शरीर और मन को वश में करें आप का कुछ भी नाश नहीं होगा। मन को वश में कर पाना बिरलों के लिए संभव हो सका है, परन्तु ज्योतिष में मन के देवता चन्द्रमा पर अगर कोई वश कर पाया है तो उनकी सबसे प्रिये पत्नी रोहाणी ही है। पौराणिक कथा इस प्रकार है की दक्ष में अपनी 27 पुत्रियों का विवाह चन्द्रमा से कर दिया, चन्द्रमा रोज रात अपनी एक पत्नी के साथ समय व्यतीत करने लगा, लेकिन जब वो रोहाणी के पास पहुंचा तो उसके रूप और यौवन देख कर मंत्र मुग्धा हो गया, और वही ठहर गया। इस कारण बाकि सभी पत्नियों को जलन और ईर्ष्या होने लगी। इन सभी पत्नियों में ज्येष्ठ सबसे बड़ी बहिन थी, वो अत्यंत क्रोध से भर गयी जब उसने जाना की चन्द्रमा रोहाणी के सबसे अधिक प्रेम करता है, उसने क्रोध, ईर्ष्या और जलन में आकार अपने पिता दक्ष से शिकायत की, जिसके फलस्वरूप दक्ष ने चन्द्रमा को श्राप दे दिया जिससे वो दिन प्रति दिन उसका छाए होने लगा, समस्त संसार में हाहाकार मच गया, वनस्पतियां खत्म होने लगीं, पति के छाये होने से सभी पत्नियां भी दुखी हो गईं और उन्होंने अपने पिता से चन्द्रमा को माफ करने की गुहार लगायी, जिसके पश्चात् दक्ष ने कहा की वो अपना श्राप वापस तो नि ले सकते परन्तु हाँ वो चन्द्रमा को 15 दिन बढ़ने का और 15 दिन छाये होने का वरदान देते है। उसी के बाद से चन्द्रमा 15 दिन शुक्ल पक्ष में बढ़ता है और 15 दिन कृष्णा पक्ष में उसका छाया होता है, इसलिए चन्द्रमा वृष राशि में रोहाणी नक्षत्र में उच्च के होते हैं तथा वृश्चिक राशि में ज्येष्ठा नक्षत्र में नीच के हो जाते हैं। आज करवा चौथ का व्रत चन्द्रमा के सबसे प्रिय नक्षत्र रोहाणी में पड़ रहा है जिससे चन्द्रमा से सच्चे मन से अपने प्रीतम के लिए जो भी माँगा जायेगा चन्द्रमा उसे वह अवश्य देंगे।

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