महाकाल मंदिर का नाम देश के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जबकि मध्य प्रदेश की राजनीति में भी यह अपना अलग महत्व रखता है। जानिए इसके पीछे का कारण।
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार (29 अक्टूबर, 18) सुबह मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर (महाकाल) मंदिर में मत्था टेका। खुद को कई मौकों पर परम शिव भक्त और जनेऊधारी बता चुके राहुल मंदिर में पारंपरिक वेश-भूषा में पूजा-अर्चना करने पहुंचे थे। उनके साथ उस दौरान एमपी कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और पार्टी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया उपस्थित रहे। सबसे खास बात है कि मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष अपने परिवार से महाकाल के दरबार में हाजिरी लगाने वाले इकलौते शख्स नहीं है। राहुल से पहले यहां उनकी दादी व पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और मां व संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) चेयरपर्सन सोनिया गांधी भी महाकाल के दर्शन को पहुंची थीं। इंदिरा दिसंबर 1979 (सत्ता में आने से पहले) में वहां बाबा के दर्शन को पहुंची थीं, जबकि सोनिया 2008 में महाकाल की चौखट पर चमात्कार की आस लगाकर गई थीं। ऐसे में राहुल भी दादी और मां के बाद महाकाल से चमत्कार की आस को लेकर वहां पहुंचे। आपको बता दें कि 230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए 28 नवंबर को मतदान होगा, जबकि 11 दिसंबर को इसके परिणाम अन्य चार राज्यों (राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम व तेलंगाना) के साथ जारी किए जाएंगे। चुनाव नजदीक आते-आते राहुल की इन जगहों पर रैलियां और सक्रियता देखते बन रही है। महाकाल के दर्शन से कुछ समय पहले वह कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर भी गए थे। महाकाल मंदिर का नाम देश के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जबकि मध्य प्रदेश की राजनीति में भी यह अपना अलग महत्व रखता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि हर बड़ी राजनीतिक यात्रा या अभियान की शुरुआत से पहले राजनीतिक दिग्गज यहीं हाजिरी लगाने आते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जन आशीर्वाद यात्रा हो या फिर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का प्रदेश दौरा। यहां तक कि कमलनाथ ने महाकाल को खुला खत लिखा था, जिसमें उन्होंने सीएम पर कृपा न बरसाने की गुजारिश की थी। उधर, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राहुल पर निशाना साधा है। पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल से उनका गोत्र पूछा। कहा, “अगर राहुल जनेऊ पहनते हैं, तो वह कौन सा जनेऊ है और उनका गोत्र कौन सा है?”