प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वाराणसी के रामनगर में बने देश के पहले मल्टी मॉडल टर्मिनल को राष्ट्र के नाम समर्पित किया। इसके साथ ही वाराणसी-हल्दिया जलमार्ग का उद्घाटन करते हुए वाराणसी को पहला कंटेनर डिपो भी सौंपा। इस पूरे जलमार्ग की लंबाई 1400 किलोमीटर है। 206 करोड़ की लागत से बने इस टर्मिनल से वाराणसी से दक्षिण एशियाई देशों में सामान सीधे भेजा जा सकेगा। आगे की स्लाइड्स में देखें…
यह मल्टी मॉडल टर्मिनल नदियों पर बना पहला ऐसा टर्मिनल है, जो कंटेनर कार्गो हैंडलिंग में सक्षम होगा। वाराणसी-हल्दिया जलमार्ग शुरू होने के बाद कोलकाता बंदरगाह के जरिये यह उत्तर भारत को पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और अन्य दक्षिण एशियाई को जोड़ेगा। जानकारों के मुताबिक सागरमाला के जरिए भारत दक्षिण एशिया के कारोबार में चीन के मुकाबले अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करा सकेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी को 2413 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी। इन कई सौगातों में जल मार्ग विकास परियोजना के तहत बना मल्टीमॉडल टर्मिनल भी शामिल है। बता दें कि इस टर्मिनल को हल्दिया-वाराणसी के बीच राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर विकसित किया जा रहा है। इस टर्मिनल के जरिए 1500 से 2000 टन के बड़े जहाजों की भी आवाजाही मुमकिन हो सकेगी।
बता दें कि दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकत बनने की तैयारियों के बीच भारत की सागरमाला परियोजना देश में आर्थिक विकास को गति देने जा रही है। 206 करोड़ की लागत से बने रामनगर मल्टी मॉडल टर्मिनल का इस परियोजना में बड़ा रोल होगा। सागरमाला परियोजना से देश में रोजगार सृजन की भी काफी संभावना है। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्तर पर सागरमाला योजना की शुरुआत की थी।
ऐसा इसलिए क्योंकि बंदरगाहों के अलावा सड़क, विमान के जरिए आर्थिक मार्ग को बनाया जा सके जिससे देश में कारोबार को गति दी जा सके। इस लिहाज से अंतरदेशीय जलमार्ग में गंगा के रास्ते व्यापारिक गतिविधियां होने से रामनगर बंदरगाह पर आने वाले दिनों में राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय कारोबार को भी गति मिलने की संभावना है।
इनलैंड वाटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईडब्ल्यूएआई) के चेयरमैन प्रवीर पांडेय ने बताया कि वाराणसी टर्मिनल के माध्यम से सामान भेजने में खर्च में कमी आएगी। जलमार्ग से सामान भेजने पर प्रति टन प्रति किमी 30 से 50 पैसे खर्च आता है। वहीं रेल से यह एक रुपये और सड़क मार्ग से डेढ़ रुपये तक का खर्च आता है।
उत्तर भारत से अभी गुजरात के कांडला और मुंबई से दूसरे देशों में सामान भेजा जाता है। वाराणसी का मल्टी मॉडल टर्मिनल उत्तर भारत को कोलकाता के जरिए दूसरे देशों से जोड़ देगा। दक्षिण एशियाई से में यहां के व्यापार को भी नए अवसर मिल सकते हैं।
मल्टी मॉडल टर्मिनल के लोकार्पण के बाद फ्रेट विलेज की परियोजना में तेजी आएगी। आईडब्लूएआई ने चंदौली जिला प्रशासन को इस वास्ते जमीन अधिग्रहण के लिए 41 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। जमीन अधिग्रहण के बाद फ्रेट विलेज में बड़े-बड़े गोदाम (वेयर हाउस) और परिवहन-ढुलाई से जुड़े संसाधन पीपीपी मॉडल पर विकसित किए जाएंगे। यहां बाहर से आने वाले कच्चे और पक्के मॉल के स्टोरेज के अलावा उनकी अलग-अलग पैकिंग, इंडस्ट्री, हाउसिंग, कस्टम सहित अन्य सुविधाएं होंगी।