इसरो ने बुधवार को अपने सैटलाइट GSAT-29 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है। 3423 किलोग्राम वजन का यह सैटलाइट भारत की ओर से भेजा गया अब तक का सबसे वजनदार सैटलाइट है।
श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गाजा तूफान के खतरे के बीच बुधवार को जीएसएलवी मार्क-3 डी-2 रॉकेट की मदद से जीसैट-29 उपग्रह सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। इससे जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस उपग्रह को इसरो के सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-एमके3-डी2 के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 5: 08 बजे लांच किया गया। इस मौके पर इसरो के चेयरमैन के. सिवान ने कहा कि यह विशेष उपग्रह भारत में दूरस्थ स्थान पर सेवाएं प्रदान करने जा रहा है। खासकर भारत सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में ये अपनी सेवाएं प्रदान करेगा।
सबसे भारी उपग्रह:-
इस रॉकेट में दुनिया के दूसरे सबसे बड़े बूस्टर एस 200 का इस्तेमाल किया गया है
3423 किलोग्राम वजन का यह भारत की जमीन से लांच सबसे भारी उपग्रह ट है
लांच होने के बाद पृथ्वी से 36,000 किमी दूर जियो स्टेशनरी ऑर्बिट में इसे स्थापित किया गया
श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किए जाने वाला 76वां और स्वदेश निर्मित 33वां संचार उपग्रह है
हाई स्पीड डाटा ट्रांसफर:-
इसमें ‘का एवं कु’ बैंड के ट्रांसपोंडर लगे हुए हैं, इससे संचार जरूरते पूरी होंगी
यह भारत के दूरदराज के क्षेत्रों में हाई स्पीड डाटा को ट्रांसफर करने में मदद करेगा
जहाजों की निगरानी होगी:-
उपग्रह में यूनिक किस्म का हाई रिजॉल्यूशन कैमरा लगा है
इस उपग्रह में लगे कैमरे को जियो आई का नाम दिया गया है
इससे हिंद महासागर में जहाजों पर भी निगरानी की जा सकेगी
10 साल की अवधि:-
जीएसएलवी-मार्क-3 डी-2 रॉकेट की यह दूसरी उड़ान है
यह लांच होने के बाद 10 साल तक काम कर सकेगा
पूरी तरह से स्वदेशी:-
जीसैट-29 उपग्रह को लांच करने के लिए जीएसएलवी-मार्क-2 रॉकेट का इस्तेमाल किया गया है। यह भारत का सबसे वजनी रॉकेट है। 640 टन वजनी इस रॉकेट की सबसे खास बात यह है कि यह पूरी तरह भारत में बना है।
‘बाहुबली’रॉकेट:-
5वीं पीढ़ी का जीएसएलवी-मार्क-3 डी-2 रॉकेट है
15 साल लगे हैं इस परियोजना को पूरा होने में
13 मंजिला इमारत (43 मीटर) के बराबर है रॉकेट की ऊंचाई
रॉकेट में स्वदेशी तकनीक से तैयार नया क्रायोजेनिक इंजन है
इसमें तरल ऑक्सिजन और हाइड्रोजन का ईंधन के तौर पर इस्तेमाल होता है
‘बाहुबली’ देश के सभी लॉन्च व्हीकलों में सबसे भारी और आकार में सबसे छोटा है
4 टन तक के उपग्रह को लांच कर सकता है यह
इससे भारत ‘बिग ब्वॉयज स्पेस क्लब’ वाले देशों में शामिल हो जाएगा
चंद्रयान-2 और गगनयान में भी इस्तेमाल होगा:-
300 करोड़ रुपये की लगभग लागत आती है इस रॉकेट से होने वाली हर लांचिंग पर
2019 में चंद्रयान-2 और 2022 से पहले भेजे जाने वाले गगनयान में इसी रॉकेट का इस्तेमाल होगा
पीएम मोदी ने कहा, जीएसएलवी मार्क-3 डी 2 के जरिए जीसैट-29 उपग्रह के सफल प्रक्षेपण के लिए हमारे वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई। भारी भरकम उपग्रह को कक्षा में स्थापित करना दोहरी सफलता है। यह उपग्रह देश के दूर दराज के क्षेत्रों तक संचार और इंटरनेट सेवा की सुविधा उपलब्ध कराएगा।