अपच की गोलियों खाने से बढ़ता है हृदयाघात का खतरा,30 लाख मरीजों पर हुआ परीक्षण
डाक्टरों का मानना है कि असंख्य लोगों द्वारा रोजाना ली जाने वाली अपच की गोलियों से हृदयाघात का खतरा बढ़ जाता है । एक अध्ययन में यह पाया गया कि जो लोग प्रोटोन पंप इनहिबिटर (पी.पी.आई.) जैसी दवाएं लेते हैं उनमें दूसरों के मुकाबले हृदयाघात होने का खतरा 20 प्रतिशत अधिक होता है । 30 लाख मरीजों पर किए गए एक अमरीकी परीक्षण में यह सिद्ध हुआ कि अत्यधिक लोकप्रिय ये गोलियां गलत नहीं थीं परन्तु अध्ययनकर्ताओं के अनुसार इन गोलियों तथा हृदयाघात में संबंध काफी चिंताजनक है । पी.पी.आई. दवाओं में ओमीप्राजोल तथा लैंसोप्राजोल विश्व भर में सर्वाधिक लोकप्रिय दवाएं हैं । अकेले इंगलैंड में प्रति वर्ष 50 लाख लोगों को इन गोलियों के सेवन का सुझाव दिया जाता है । अधिकांश ब्रिटिश लोग इन्हें बाजार से खरीद सकते हैं जहां जैनप्रोल तथा पैंटेलोक कंट्रोल जैसे ब्रांड सामान्यत: मिल जाते हैं । इन गोलियों का लम्बे समय तक सेवन करना नियमित जांच का विषय है । बाजार से मिलने वाली इन गोलियों के सेवन को सिर्फ 2 सप्ताह तक ही लिया जाना चाहिए । फिर भी कुछ लोग अपच संबंधी गोलियों को इतना फायदेमंद मानते हैं कि वे वर्षों तक इनका सेवन करते हैं । ये गोलियां पेट द्वारा पैदा किए जाने वाले एसिड की मात्रा को कम करती हैं और इनका इस्तेमाल एसिड के उल्ट प्रवाह को रोकने यानी हार्ट बर्न की समस्या के उपचार के लिए किया जाता है । एसिड के उल्ट प्रवाह में पेट का एसिड हमारी भोजन नली में प्रवाहित हो जाता है जिसके चलते छाती में जलन महसूस होती है । अपच संबंधी गोलियों का सुझाव उन लोगों को भी दिया जाता है जिनके पेट में अल्सर हो । इन गोलियों को लम्बे समय तक नुक्सान रहित माना जाता रहा है परन्तु हालिया अध्ययनों में ऐसे संकेत मिले हैं कि ये हृदय को नुक्सान पहुंचा सकती हैं । नफोर्ड तथा ह्यूस्टन मैथोडिस्ट यूनिवर्सिटियों की टीमों ने 30 लाख मरीजों के मैडीकल रिकार्ड्स की जांच की ताकि पता लगाया जा सके कि किस व्यक्ति को छाती में जलन की समस्या है । उसके बाद इन लोगों की तुलना उन लोगों के हृदय के स्वास्थ्य से की गई जो अपच संबंधी गोलियों का सेवन कर रहे थे । इसमें पाया गया कि अपच संबंधी गोलियों का सेवन करने वालों में हृदयाघात का खतरा अधिक रहता है ।