नई दिल्ली: भारत में डॉक्टरों और नर्सों में हाथ धोने और स्वच्छता के तौर तरीकों के संबंध में जागरूता कम है। यह बात एम्स और लेडी हार्डिंग मैडीकल कॉलेज द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आई है, जिसमें संक्रमण के खतरे से बचने के लिए नियमित प्रशिक्षण पर जोर दिया गया है। अध्ययन में पाया गया है कि ज्यादातर डॉक्टर अभी भी स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए साबुन से हाथ धोने में यकीन रखते हैं जबकि डॉक्टरों की रोगाणुरोधी गतिविधियों की वजह से हाथ साफ रखने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उन्हें अल्कोहल युक्त लोशन से हाथ धोने की अनुंशसा की है। अध्ययन में जितने डॉक्टरों और नर्सों का साक्षात्कार लिया गया था, उसमें से केवल 15 प्रतिशत डॉक्टर और 37 फीसदी नर्सें जानती थी कि वैश्विक हाथों की सफाई दिवस 15 अक्तूबर को होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, हाथों की स्वच्छता के खराब तौर तरीके मरीजों और डॉक्टरों की सेहत के लिए बड़ा खतरा है। विशेषज्ञों ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठान में हाथों को स्वच्छ रखकर संक्रमण को रोका जा सकता है और सूक्ष्मजीवों के प्रसार को भी रोका जा सकता है। दिल्ली चिकित्सा परिषद के सदस्य नरेंद्र सैनी ने कहा कि बार-बार हाथ धोना संक्रमण के प्रसार को रोकने या खुद को संक्रमण से बचाने के लिए बहुत जरूरी है। स्वच्छ हाथों से सुरक्षित जीवन है। यह अध्ययन ‘इंटरनैशनल जनरल ऑफ फॉर्मा रिसर्च एंड हेल्थ साइंसेज’ के नए अंक में प्रकाशित हुआ है। यह अध्ययन मार्च से मई 2015 के बीच किया गया था, जिसमें 100 डॉक्टरों और नर्सों को शामिल किया गया था।
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