लखनऊ : उत्तर प्रदेश के लखनऊ के बलबीर के पुनर्जन्म का अहसास सच साबित हुआ है।एक बुजुर्ग ने पिछले जन्म में हुई अपनी ही हत्या के रहस्य को खोल दिया है। पुनर्जन्म की प्रमाणित कहानी ने भारत से लेकर पाकिस्तान तक हकीकत की ऐसी कड़ियों को जोड़ दिया है कि आप भी जानकर हैरान रह जाएंगे। ब्रिटिश शासन काल के दौरान हुई थी राय बहादुर सुंदरदास चोपड़ा की हत्या इस जन्म में बलबीर सिंह की दास्तान की हर कड़ी जांच में सच साबित हुई है। इस मामले में अब उनकी बेटी ने गहन विमर्श पर आधारित एक पुस्तक भी लिख दी है। दरअसल, बलबीर सिख समुदाय से संबंध रखते हैं। उनके मुताबिक, उनका पिछला जन्म पाकिस्तान में हुआ था। तब वह हिंदू परिवार में जन्मे थी। बलबीर की बताई बातों को परखने के लिए उनकी बेटी अमृता लांबा पाकिस्तान गई। जब वह पाकिस्तान पहुंची तो वहां सारे प्रमाण वैसे ही मिले, जो बलबीर ने बताया था। अब बलबीर की बेटी ने इस पर एक किताब लिखी है, जिसका विमोचन पिछले दिनों लखनऊ लिटरेचर फेस्टिवल में हुआ। गोमतीनगर के विश्वास खंड की रहने वाले बलबीर सिंह उप्पल 96 साल के हो चुका हैं। उन्हें आज भी पिछले जन्म की सारी बातें हूबहू याद हैं। वे बताते हैं कि पिछले जन्म में विभाजन से पहले वेस्ट पंजाब के डिंगा टाउन में वे लोग रहते थे। यह हिस्सा विभाजन के बाद पाकिस्तान में चला गया। तब उनका नाम राय बहादुर सुंदरदास चोपड़ा था। अंग्रेजी हुकूमत के दौर में वह सेना में यूनिफॉर्म और राशन सप्लाई करते थे। बलबीर के जेहन में पहले विश्वयुद्ध की यादें भी ताजा हैं।
बलबीर का जन्म मूलत: डिंगा (अब पाकिस्तान के गुजरात जिले में) के रहने वाले सरदार करतार सिंह के घर हुआ। वह दस भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनके पिता सरदार करतार सिंह रेलवे में ऊंची पोस्ट पर थे और तबादलों के कारण कई जिलों के बाद रायबरेली में रहे। रायबरेली में जन्मे बलवीर ने बोलना शुरू किया तो खुद को राय बहादुर सुंदरदास चोपड़ा बताने लगे। इस बीच सरदार करतार सिंह का परिवार डिंगा में एक वैवाहिक समारोह में पहुंचा। डिंगा रेलवे स्टेशन के सामने राय बहादुर सुंदरदास का महल था। ट्रेन से उतरते ही बलबीर मां की गोद से कूद महल की ओर भागे और भीतर घुस गए। महल के पेचीदे रास्तों से होते हुए कमरे में पहुंच गए, पियानो पहचाना और पिछले जन्म की कई बातें बताने लगे। यह सुन सब हैरत में आ गए लेकिन महल के मौजूदा मालिक राव साजिद जहांगीर और डिंगा के बड़े-बुजुर्गों ने उनकी कहीं बातों को सही बताया। करतार सिंह बमुश्किल बलवीर को वापस ला पाए। घबराई मां केसर कौर ने बेटे के बिछडने के डर से डिंगा जाना छोड़ दिया लेकिन बलबीर की बेटी अमृता ने उनके पिछले जन्म के परिवार को ढूंढ निकाला। अमृता ने डिंगा में रहकर ही शोध किया और बलवीर सिंह की जिंदगी पर 425 पेज की पोस्ट फॉरवर्ड किताब भी लिखी।