‘खबरदार, जो सुबह सात से लेकर शाम सात बजे तक किसी औरत ने मैक्सी या नाइटी पहनी। अगर किसी ने ये प्रतिबंध नहीं माना तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी। जुर्माना लगेगा दो हजार रुपये।’ये चेतावनी नौ सदस्यों की उस पंचायत की ओर से दी गई है, जिसकी मुखिया खुद एक औरत हैं। मामला आंध्र प्रदेश के टोकालपल्ली गांव का है। इस गांव की पंचायत ने कुछ वक्त पहले दिन के उजाले में औरतों के नाइटी पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है जैसा कि नाम से जाहिर है कि औरतें नाइटी ज़्यादातर मामलों में रात में पहनती रही हैं लेकिन कुछ औरतें अपनी सुविधा और पसंद से नाइटी दिन में भी पहनती हैं।
इसी बात पर इस गांव में पंचायत ने आपत्ति जताई और नाइटी पर प्रतिबंध लगा दिया। पंचायत ने माना है कि नाइटी पहनने से औरतों को मुश्किल हो सकती है और इस मुश्किल की वजह पुरुषों को उनकी ओर आकर्षित होना हो सकता है। वैसे नाइटी पर प्रतिबंध लगाने का भारत में ये कोई पहला मामला नहीं है। भारत जैसे पितृसत्तात्मक समाज में औरतों के लिबास पर पहले भी कई बार विवाद हो चुके हैं।
‘नाइटी न पहनने पर करो चुगली, मिलेगा इनाम’
ऐसा नहीं है कि ये इस नाइटी प्रतिबंध में रुपये का इस्तेमाल सिर्फ जुर्माने तक ही सीमित है।पंचायती फरमान के मुताबिक, अगर कोई औरत इस प्रतिबंध को नहीं मान रही है तो ऐसी औरत के बारे में बताने वाले को एक हजार रुपये का इनाम दिया जाएगा।इस प्रतिबंध को गांव में काफी गंभीरता से माना जा रहा है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगाइए कि प्रतिबंध न मानने का अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया है।
बीबीसी तेलुगू की जब इस गांव में रहने वाली एक महिला बाल्ले विष्णु मूर्ति से बात हुई तो विष्णु बताती हैं, ”औरतों के रात में नाइटी पहनने पर कोई दिक्कत नहीं है लेकिन अगर दिन के उजाले में औरतें नाइटी पहनकर बाहर जाएंगी तो वो ध्यान खींच सकती है। इससे नाइटी पहनने वाली औरतों को ही दिक्कत हो सकती है। ये प्रतिबंध औरतों को अंग प्रदर्शन करने से रोकने की वजह से लगाया गया है।”हालांकि इस गांव में ऐसे भी पुरुष और औरतें हैं, जो इस प्रतिबंध से सहमत नहीं हैं लेकिन गांव में रहते हुए होने वाली कमाई को जुर्माने में खर्च होने के डर से वो इस प्रतिबंध मानने को मजबूर हैं।
कपड़े के एक टुकड़े से इतनी परेशानी क्यों?
इससे पहले साल 2014 में मुंबई के एक गांव में भी नाइटी पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया था।इसके पीछे तब वजह यह बताई गई- नाइटी पहनना अभद्रता है।तब दिन के उजाले में नाइटी पहनने वाली औरतों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया गया था। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर कपड़े के एक टुकड़े से कुछ लोगों को इतनी दिक्कत क्यों होती है? फै़शन पोर्टल ‘द वॉइस ऑफ फै़शन’ की एक संपादक ने बीबीसी को बताया, ”नाइटी पर प्रतिबंध लगाने का ये फैसला ‘फैशन पुलिस’ की बजाय नैतिकता के ठेकेदारों की वजह से लिया गया है।”
भारत जैसे विकासशील देश में नाइटी का इस्तेमाल कई मायनों में अहम है। इसका इस्तेमाल बेहद सुविधाजनक होता है।नाइटी पहनकर काम करने में भी कम दिक्कत होती है। नाइटी की लोकप्रियता की एक अहम वजह ये भी कि एक नाइटी को औरतें 100 रुपये में भी खरीद सकती हैं।
डिजाइनर रिमजिम डाडू कहती हैं, ”नाइटी औरतों के बीच इस वजह से भी लोकप्रिय है क्योंकि इससे पहनकर औरतें कंफर्टेबल रह सकती हैं। साड़ी पहनकर घर के काम करने भी मुश्किल होते हैं। नाइटी की वजह से औरतें आजाद महसूस करती हैं।”
भारत जैसे देश में नाइटी का महत्व
आपने शायद ऐसी कई खबरें पढ़ी होंगी, जिनमें औरतों के कपड़ों को किसी घटना के लिए जिम्मेदार बताया जाता है। ऐसे बयानों का आधार कुछ बेतुके तर्क होते हैं।डिजाइनर डेविड अब्राहम कहते हैं, ”नाइटी न सिर्फ एक शिष्ट लिबास है बल्कि ये पहनने में भी आसान है। ये एक औरत की सारी जरूरतों को पूरा करती है। कपड़े का एक पूरा टुकड़ा आपको गले से लेकर पैरों तक ढक देती है।”
डिजाइनर रिमजिम और डेविड अब्राहम दोनों ही इस तरह के प्रतिबंधों की आलोचना करते हैं। ऐसा माना जाता रहा है कि नाइटी भारत में ब्रिटिश काल में आई थी, तब नाइटी सिर्फ अंग्रेज औरतें ही पहनती थीं लेकिन वक्त के साथ भारतीय औरतों ने भी इस लिबास को अपनाया।ऐसे में इस तरह के प्रतिबंधों को लगाना कितना सही है?
डिजाइनर डेविड कहते हैं, ”क्या आपने कभी सुना है कि कोई गांव की पंचायत ये तय करे कि मर्द क्या पहनेंगे। ये हमेशा औरतों के लिबास पर ही क्यों बात होती है। आज ये नैतिकता के ठेकेदार नाइटी पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। क्या पता कल किसी और चीज पर प्रतिबंध लगा दें।”