पांच प्रकार का मधुमेह
विश्वभर में प्रत्येक 11 में से एक वयस्क मधुमेह से पीड़ित है। मधुमेह की वजह से दिल का दौरा पड़ना, स्ट्रोक, अंधापन और किडनी फेल होने के खतरे बने रहते हैं।
टाइप 1 प्रकार के मधुमेह का असर इंसान की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) पर पड़ता है। यह सीधा शरीर की इंसुलिन फैक्ट्री (बेटा-सेल) पर हमला करता है जिस वजह से हमारा शरीर शुगर की मात्रा नियंत्रित करने के लिए हार्मोन पर्याप्त मात्रा में नहीं बना पाता।
टाइप 2 प्रकार के मधुमेह का कारण आमतौर पर गलत जीवनशैली होता है जिसमें शरीर में फैट बढ़ने लगता है और वह इंसुलिन पर असर दिखाता है।
स्वीडन के ल्युंड यूनिवर्सिटी डायबटीज सेंटर और फिनलैंड के इंस्टिट्यूट फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन ने 14,775 मधुमेह के मरीजों के खून की जांच कर अपने नतीजे दिखाए हैं।यह नतीजे लैंसेट डायबिटीज एंड एंटोक्रिनोलोजी में प्रकाशित हुए हैं, इसमें बताया गया है कि मधुमेह के मरीज को पांच अलग-अलग क्लस्टर में बांटा जा सकता है।
क्लस्टर 1- गंभीर प्रकार का ऑटो इम्यून मधुमेह मोटे तौर पर टाइप-1 मधुमेह जैसा ही है, इसका असर युवा उम्र में देखने को मिलता है, जब वे स्वस्थ होते हैं और फिर ये उनके शरीर में इंसुलिन बनाने की मात्रा कम करने लगता है।
क्लस्टर 2- गंभीर प्रकार से इंसुलिन की कमी वाले मधुमेह को शुरुआती दौर में समूह-1 की तरह ही देखा जाता है, इसके पीड़ित युवा होते हैं, उनका वजन भी ठीक रहता है लेकिन वे इंसुलिन बनाने की क्षमता कम होती जाती है और उनका इम्यून सिस्टम सही तरीके से काम नहीं कर रहा होता।
क्लस्टर 3 – गंभीर रूप से इंसुलिन प्रतिरोधी मधुमेह के शिकार मरीज का वजन बढ़ा हुआ होता है, उनके शरीर में इंसुलिन बन तो रहा होता है, लेकिन शरीर पर उसका असर नहीं दिखता।
क्लस्टर 4- हल्के मोटापे से जुड़े मधुमेह से पीड़ित लोग आमतौर पर भारी वजन के होते हैं, लेकिन उनकी पाचन क्षमता क्लस्टर 3 वालों के जैसे ही होती है।
क्लस्टर 5- उम्र से जुड़े मधुमेह के मरीजों में आमतौर पर अपनी ही उम्र के बाकी लोगों से थोड़े ज़्यादा उम्रदराज दिखने लगते हैं।