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दूसरे के बजाय खुद ही रिसर्च करना पसंद कर रही हैं ऑटोमोटिव कंपनियां

पिछले कुछ सालों में ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में काफी बदलाव हुए हैं और इसमें डिजिटलाइजेशन और टेक्नोलॉजी का बड़ा हाथ है। आज ऑटोमोटिव इंडस्ट्री का लक्ष्य अधिक स्मार्ट और इंटेलिजेंट वाहनों का विकास करना है जिसके लिए अधिक स्मार्ट तकनीक और अत्याधुनिक सिस्टम को लागू करना और गंभीरता से समझना होगा। इस परिस्थिति में कंपनियों को ऐसे लोगों की जरूरत है जो सबसे आधुनिक और अपडेटेड तकनीक के साथ कार्य में सक्षम हों। इंडस्ट्री की इस मांग को इनसोर्सिंग के जरिए पूरा किया जा रहा है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में इनसोर्सिंग ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के लिए वरदान साबित होगा।

इनसोर्सिंग से कैसे बदल जाएगी ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की सूरत
आधुनिक तकनीक के इस दौर में ऑटोमोटिव कंपनियां अपने कुछ काम को इनसोर्सिंग उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को सौंप देती हैं, क्योंकि आउटसोर्सिंग में आइडिया के चोरी होने या फिर उसमें बदलाव होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में कंपनियां रिसर्च का काम आमतौर पर इन-हाउस ही करती हैं और कई बार एक टीम को बकायदा ट्रेनिंग भी दी जाती है। इसके लिए हमने एक्सपर्ट के तौर पर ऑरेलियस कॉर्पोरेट सॉल्यूशंस के फाउंडर और सीईओ सुमीत पीर से भी बात की तो उन्होंने कहा कि ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के लिए इनसोर्सिंग सबसे बड़ा वरदान साबित होगा और यह दिनोंदिन बढ़ ही रहा है, क्योंकि इसमें ऑटोमोबइल्स कंपनियों को फायदे-ही-फायदे हैं।

इनसोर्सिंग के फायदे
इनसोर्सिंग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें खर्च कम होता है, क्योंकि किसी अन्य कंपनी को काम सौंपने का आपका खर्च बच जाता है। साथ ही यदि कंपनी की खुद की टीम काम कर रही है तो इसका फायदा यह होता है कि कंपनी की टीम उस काम में माहिर हो जाती है और फिर बार-बार आने वाला खर्च बच जाता है। ऐसे में आज अधिकतर ऑटोमोटिव कंपनियां आउटसोर्स के बजाय इनसोर्सिंग को अपनानेन लगी हैं।

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