पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। चुनाव प्रचार के दौरान उछाले गए मुद्दे और चुनाव के नतीजे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनता ने राजनैतिक पार्टियों की धार्मिक गोलबंदी की कोशिशों को नकार दिया है। बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन चुनावों में भाजपा का अहम चेहरा रहे और उन्होंने अलग-अलग राज्यों में 70 से ज्यादा रैलियां की। इतना ही नहीं योगी आदित्यनाथ ने इन रैलियों में अली-बजरंगबली जैसे बयान देकर धार्मिक ध्रुवीकरण की भी खूब कोशिश की, लेकिन चुनाव के नतीजे देखकर पता चलता है कि योगी आदित्यनाथ ने जिन स्थानों पर रैलियां की, वहां भाजपा को आशातीत सफलता नहीं मिल सकी। जिससे पता चलता है कि जनता ने धर्म की राजनीति को ज्यादा भाव नहीं दिया है। योगी आदित्यनाथ ने जिन जगहों पर प्रचार किया, उनमें से आधी से ज्यादा सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है।
अली-बजरंगबली का दांव फेल!: योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान के अलवर में हनुमान जी को दलित बताया था। अलवर जिले में 11 विधानसभा सीटें थी, लेकिन उनमें से भाजपा को सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली, जबकि 2013 के चुनावों में भाजपा ने यहां से 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी राष्ट्रवाद और शहरी नक्सली जैसे मुद्दे उठाए। अमित शाह ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के दौरान कई मंदिरों के चक्कर भी लगाए थे। लेकिन लगता है कि जनता ने उन मुद्दों को भी ज्यादा अहमियत नहीं दी!
राहुल गांधी ने भी बताया था गोत्रः ऐसा नहीं है कि धर्म की राजनीति सिर्फ भाजपा की तरफ से की गई। कांग्रेस ने भी इस बार चुनाव प्रचार के दौरान जमकर धर्म का इस्तेमाल किया। राहुल गांधी ने राजस्थान के पुष्कर में चुनाव प्रचार के दौरान अपना गोत्र बताया था। जिसकी खूब चर्चा भी हुई थी। लेकिन कांग्रेस को यहां हार का सामना करना पड़ा। इन सब के अलावा राहुल गांधी ने मंदिरों के भी खूब चक्कर लगाए। राहुल गांधी ने उदयपुर में कहा था कि पीएम मोदी को धर्म की समझ नहीं है। यहां तक कि 10 सीटों में से कांग्रेस को पांच सीटों पर ही जीत मिल सकी.
मुद्दे हैं अहमः चुनाव नतीजों को देखकर लगता है कि जनता ने मुद्दों के आधार पर अपना वोट दिया है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जिस तरह से कांग्रेस ने किसानों के मुद्दे और युवाओं के रोजगार के मुद्दे उठाए, उसका चुनाव में फायदा मिला है। वहीं भाजपा की रणनीति सिर्फ धर्म की राजनीति और कांग्रेस को घेरने पर ही रही, जिसका उसे शायद खामियाजा भुगतना पड़ा। छत्तीसगढ़ में जिस तरह से कांग्रेस ने सिर्फ मुद्दों पर चुनाव लड़ा और वहां स्पष्ट बहुमत मिला। कांग्रेस पार्टी में कुछ नेता ऐसी चर्चाएं भी कर रहे हैं कि यदि राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी सिर्फ मुद्दों पर भाजपा को घेरा जाता तो उनकी जीत और भी ज्यादा बड़ी हो सकती थी।