मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत ने राहुल गांधी को राजनीति का नया योद्धा साबित कर दिया है। एक ऐसा योद्धा जो हारने पर भी उतना ही विनम्र है, जितना जीत के बाद। इन राज्यों में मिली बड़ी जीत के बाद मंगलवार को राहुल गांधी जब प्रेस कांफ्रेंस करने पहुंचे तो इसका सबूत भी मिल गया। उन्होंने जिस अंदाज में बात की वह उनकी परिवक्वता की झलक दिखा गया। राहुल में अब एक बड़े नेता की झलक मिलने लगी है।
प्रेस कांफ्रेंस में उनके सीधे और सहज जवाब ने बताया कि वह भविष्य के राजनेता हैं। पत्रकारों के हर सवाल का उन्होंने सधे अंदाज में जवाब दिया। यहां भी उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा को निशाने पर लिया, लेकिन उनका अंदाज बदला हुआ था। वह बिल्कुल भी आक्रामक नजर नहीं आ रहे थे जैसा कि रैलियों में दिखते थे। आरोप वही थे, लेकिन शब्दों में तीखापन नहीं था।
उनके कुछ बयान तो ऐसे थे जिन्हें नजरअंदाज करना मुश्किल है। जैसे- ‘मैंने नरेंद्र मोदी से सीखा है कि क्या नहीं करना चाहिए।’ ‘भाजपा की विचारधारा के खिलाफ हम लडे़ंगे और उन्हें हराएंगे।’ ‘विपक्ष के नेता के नाते मुझे अफसोस है कि मोदी जी ने देश की धड़कन नहीं सुनी।’ ‘उनमें घमंड है और देश की जनता सबसे अच्छी टीचर है।’ ‘आज उन्हें तीन राज्यों में हराया है 2019 में भी हराएंगे।’ ‘हम भारत से किसी को भी मुक्त नहीं करना चाहते हैं, हम असहमत हैं लेकिन किसी को मिटाना नहीं चाहते हैं।’
राहुल के ये बयान बताते हैं कि अब उनमें कितनी परिपक्वता आ गई है। भाजपा के कांग्रेस मुक्त भारत के नारे के जवाब में राहुल का बयान उनकी सुलझी सोच को दर्शाता है कि हम भारत को किसी से मुक्त नहीं करना चाहते न ही किसी को मिटाना चाहते हैं। राहुल का यही संयम उन्हें देश की सियासत में लंबी रेस का घोड़ा साबित कर सकता है।