जहां भाजपा है कमजोर अब वहां जाएंगे नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी को मजबूती देने के लिए फरवरी माह से पहले, मोदी करीब 120 निर्वाचन क्षेत्रों में संबोधित करेंगे। ये वे इलाके हैं जहां बीजेपी को कमजोर माना जाता है। पार्टी का आकलन है कि मोदी की लोकप्रियता पर असर नहीं पड़ा है। इस वजह से बीजेपी अब पूरी तरह मोदी की छवि पर निर्भर हो सकती है। उम्मीद है कि दिल्ली में 11-12 जनवरी को पार्टी की नैशनल एग्जीक्यूटिव मीटिंग के साथ ही बीजेपी आम चुनावों के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत कर देगी। इससे पहले, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह संगठन की विभिन्न शाखाओं के नेताओं से मिलकर तैयारियों का जायजा लेंगे। उम्मीद है कि शाह 15 और 16 दिसंबर को युवा मोर्चा नेताओं के साथ बैठक करेंगे। इस मीटिंग में जिला प्रमुख स्तर के नेता भी शामिल होंगे। इसके बाद 21 और 22 दिसंबर को महिला मोर्चा की नैशनल एग्जीक्यूटिव की बैठक होगी। अनुसूचित जाति मोर्चा की बैठक 19 और 20 जनवरी को नागपुर में होगी, अल्पसंख्यक मोर्चे की बैठक दिल्ली में 31 जनवरी और 1 फरवरी को जबकि अनुसूचित जनजाति मोर्चे की नैशनल एग्जीक्यूटिव की बैठक भुवनेश्वर में 2 और 3 फरवरी को होगी। बीजेपी के ओबीसी मोर्चे की बैठक पटना में 15 और 16 फरवरी को होगी जबकि किसान मोर्चा के नेता 21 और 22 फरवरी को यूपी में मिलेंगे। छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश मे मिली हार से बीजेपी अवाक है। हालांकि, लोकसभा चुनाव नजदीक होने की वजह से पार्टी झटके से उबरने की कोशिशों में लग गई है। पार्टी ने आने वाले महीनों में नेताओं को पूरी तरह व्यस्त रखने वाला कार्यक्रम बनाया है। इन नेताओं में पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं। मोदी 22 दिसंबर को महिला मोर्चा जबकि 22 जनवरी को किसान मोर्चा की बैठक में संबोधित करेंगे। शाह इन सभी बैठकों में शामिल होंगे। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और थावरचंद गहलोत एससी मोर्चा को संबोधित करेंगे जबकि गृहमंत्री राजनाथ सिंह एसटी मोर्चा की बैठक में अपना संबोधन देंगे।
राजनाथ के अलावा एमपी के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और झारखंड के सीएम रघुबर दास पटना में ओबीसी नेताओं को संबोधित करेंगे। इसके अलावा, 16 फरवरी को पटना में ओबीसी नेताओं की एक बड़ी रैली आयोजित की जाएगी। चौहान को सौंपी जिम्मेदारी बेहद अहम मानी जा रही है क्योंकि उन्हें लगातार बीजेपी के ओबीसी चेहरे के तौर पर देखा जाता रहा है। इससे इस बात के भी संकेत मिलते हैं कि पूर्व सीएम को अब मध्य प्रदेश के बाहर की जिम्मेदारियां भी मिल सकती हैं। 13 साल के शासन के बाद बुधवार को चौहान ने इस्तीफा दे दिया था। बीजेपी के जनरल सेक्रेटरी भूपिंदर यादव के मुताबिक, सभी मोर्चों की ये बैठकें चुनाव के मद्देनजर आयोजित की गई हैं। इससे पहले, गुरुवार को पार्टी नेताओं के साथ हुई बैठक में शाह ने उन्हें 2019 पर फोकस करने की सलाह दी।