तमिलनाडु में लड़कियों के गर्भवती होने की दर चौंकाने वाली है। राज्य में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस साल अप्रैल से लेकर 12 दिसंबर तक किशोरियों के गर्भवती होने के 20 हजार मामले सामने आए हैं।
तमिलनाडु राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक दारेज अहमद ने बताया कि गर्भवती लड़कियों की औसत उम्र 16 से 18 साल थी और इनमें से ज्यादातर शादीशुदा थीं।
उन्होंने कहा,”इन आंकड़ों से पता चलता है कि हमारे राज्य में कितने बाल विवाह हो रहे हैं। वो कहते हैं कि इनमें से बहुत कम लड़कियां गर्भपात का विकल्प चुनती हैं।” अहमद बताते हैं, “इनमें से ज्यादातर गर्भ पालती हैं और चूंकि वे बहुत ज्यादा खतरे वाले समूह से संबंध रखती हैं इसलिए हम उनपर बहुत नजदीक से नजर रखते हैं।”
विद्या रेड्डी तुलिर नाम की संस्था की सह-संस्थापिका हैं। यह संस्था बाल यौन दुराचार रोकथाम के क्षेत्र में काम करती है। रेड्डी कहती हैं कि यह स्थित सामाजिक समस्या से कहीं ज्यादा बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। वे कहती हैं कि यौन और प्रजन्न संबंधी अधिकारों के बारे में बच्चों को शिक्षित करने की बहुत ज्यादा जरुरत है।
वे कहती हैं, “लड़कों को छोड़ दें तो कितनी लड़कियों की प्रजनन रोकथाम तक पहुंच है? वो कहां जाएगी? वो किस नाम से क्या मांगेगी? जब तक आप जानकारियों और जन्म नियंत्रण तक इन लड़कियों की पहुंच नहीं होने देंगे, वे लड़कों पर आश्रित रहेंगी।”