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पाकिस्तान की पैंतरेबाजी पर भड़का भारत बोला-बर्दाश्त की सीमा पार

ipनई दिल्ली/जयपुर (एजेंसी)। पाकिस्तान की लगातार पैंतरेबाजी से नाराज भारत ने शुक्रवार को साफ शब्दों में कह दिया कि पाकिस्तान की शर्तों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तर की वार्ता नहीं हो सकती। भारत ने कहा कि ‘‘एक तरफा तरीके से शर्तों को थोपना और पहले से तय एजेंडे को बिगाड़ देना’’ एनएसए स्तर की वार्ता का आधार नहीं हो सकते। भारत ने वार्ता रद्द करने का कोई औपचारिक एलान तो नहीं किया लेकिन संकेत दे दिया कि उसके सब्र की भी एक सीमा है। एक बेहद कड़े बयान में भारत ने पाकिस्तान के एनएसए सरताज अजीज के साथ हुर्रियत नेताओं की मुलाकात की पाकिस्तानी जिद पर सवाल उठाए हैं। इसमें कहा गया है कि यह उफा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ के बीच हुई सहमति से ‘पूरी तरह से विचलन’ है।
विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘‘भारत ने हमेशा से ही साफ कर रखा है कि हमारे रिश्तों (भारत-पाकिस्तान) में सिर्फ दो पक्ष हैं, तीन नहीं।’’ यह इशारा पाकिस्तान की तरफ से हुर्रियत नेताओं को अजीज से मुलाकात के न्योते की तरफ है। बयान से ऐसा लगा कि कि 23-24 अगस्त को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और पाकिस्तानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज के बीच प्रस्तावित बातचीत रद्द कर दी गई है। लेकिन, बयान आने के फौरन बाद भारतीय अधिकारियों ने साफ कर दिया कि वार्ता रद्द नहीं की गई है।
इतना तय है कि यह बयान इसी तरफ इशारा कर रहा है कि अगर पाकिस्तान अजीज-हुर्रियत बातचीत की जिद पर अड़ा रहा तो एनएसए वार्ता खटाई में पड़ जाएगी। वार्ता की राह में और रोड़े इस्लामाबाद में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के बयान से आ गए। एक तो पाकिस्तान ने कहा कि उसे भारत की तरफ से आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है। साथ ही उसने कहा, ‘‘हुर्रियत नेता कश्मीरी अवाम के सच्चे नुमाइंदे हैं। पाकिस्तान उन्हें इस विवाद के हल के एक महत्वपूर्ण और जरूरी पक्ष के रूप में देखता है। इस तरह की मुलाकातों (हुर्रियत-अजीज मुलाकात) में कुछ भी असामान्य नहीं है। ’’
भारत के विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘‘दोनों देशों के लोगों के पास यह सवाल पूछने का वैधानिक हक है कि आखिर वह कौन सी ताकत है जो पाकिस्तान को इस बात पर बाध्य कर ही है कि दो निर्वाचित नेताओं (मोदी-शरीफ) के बीच हुई सहमति का अनादर किया जाए। ’’बयान में कहा गया है, ‘‘भारत आज भी सभी द्विपक्षीय मसलों को शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत से हल करना चाहता है। सच तो यह है कि हमीं ने उफा में इसकी पहल की थी। लेकिन एकतरफा नई शर्तों को थोपना और बने बनाए एजेंडे को बिगाड़ देना, रिश्तों को आगे ले जाने का आधार नहीं बन सकता है। ’’भारत का यह बयान पाकिस्तान के इस बयान के बाद आया कि अजीज दिल्ली में हुर्रियत नेताओं से मिलेंगे। इसे बदला नहीं जा सकता। भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘इस बयान ने हमें ताज्जुब में नहीं डाला। उफा मुलाकात के बाद से यही पाकिस्तान का तरीका रहा है और आज का रुख इसी तरीके की चरम परिणति है।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘उफा में दोनों प्रधानमंत्रियों ने तय किया था कि एनएसए स्तर की वार्ता में आतंकवाद और सीमा पर शांति का मुद्दा शामिल होगा। बजाए इसके हमने देखा कि पाकिस्तान की तरफ से सीमा पर गोलीबारी होने लगी। सीमा पार आतंकवादी कार्रवाईयां की गईं। इनमें से आखिरी ऊधमपुर की थी जिसमें एक पाकिस्तानी को जिंदा पकड़ा गया। यह बात तय ही है कि आतंकवाद पर होने वाली एनएसए वार्ता में उठती। इससे पाकिस्तान को दिक्कत होती। ’’

भारत के बयान में कहा गया है, ‘‘यह उकसाने वाली हरकत उफा में आतंकवाद पर बातचीत के लिए बनी सहमति से बचने की पाकिस्तानी इच्छा के अनुरूप थी। एनएसए आतंकवाद से जुड़े सभी मुद्दों पर बात करने वाले थे। यही एकमात्र एजेंडा था जिसे दोनों प्रधानमंत्रियों ने आपस में तय किया था।’’

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