किसी को भी नहीं बतानी चाहिए हर बात, नहीं तो उठानी पड़ सकती है परेशानी
आचार्य चाणक्य ने नीति (Chanakya Niti) ग्रंथ के दूसरे अध्याय के छठे श्लोक में बताया है कि दुश्मनों पर भरोसा नहीं करना चाहिए, लेकिन उनके अनुसार कुछ बातें दोस्त को भी नहीं बतानी चाहिए।
आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) का कहना है कि बुरा समय आने पर कुमित्र तो आपको परेशान करता ही है, लेकिन दोस्त को भी अगर आपकी कुछ गुप्त बातें पता चल जाती है तो हो सकता है वो भी समय का फायदा उठाकर आपको नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए कुछ खास बातें दोस्त को भी नहीं बतानी चाहिए।
चाणक्य नीति ग्रंथ के सातवें अध्याय के पहले श्लोक में बताया है कि दोस्त को क्या नहीं बताना चाहिए – अर्थनाशं मनस्तापं गृहे दुश्चरितानि च । वञ्चनं चापमानं च मतिमान्न प्रकाशयेत॥१॥
भावार्थ
धन का नाश हो जाने पर, मन में दुखः होने पर, पत्नी के गलत चरित्र का पता लगने पर, नीच व्यक्ति से कुछ घटिया बातें सुन लेने पर तथा स्वयं कहीं से अपमानित होने पर अपने मन की बातों को किसी को नहीं बताना चाहिए। यही समझदारी है।
चाणक्य के अनुसार कभी व्यवसाय, नौकरी या लेन-देन में कभी पैसों का नुकसान हो जाए या कोई आपका पैसा चुरा ले तो ऐसी बात अपने दोस्त को भी नहीं बतानी चाहिए।
इसके अलावा जब आप दुखी हो या किसी काम में मन न लगे तो ऐसी स्थिति के बारे में भी नहीं बताना चाहिए। वरना इसमें नुकसान आपका ही होगा।