उत्तर प्रदेशराजनीति

एमपी और राजस्थान सरकार से समर्थन वापसी पर हो सकता है विचार : मायावती


लखनऊ : मायावती ने कांग्रेस को आगाह किया है कि प्रमोशन में आरक्षण की मांग को लेकर किये गये प्रदर्शन के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस नहीं लेने पर मध्य प्रदेश और राजस्थान में सरकार को बाहर से दिये जा रहे समर्थन पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। मायावती ने सोमवार को बयान में कहा कि एससी-एसटी कानून 1989 और सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण की पूर्ण रूप से बहाली की मांग को लेकर गत दो अप्रैल को किये गयेे ‘भारत बन्द’ के दौरान उत्तर प्रदेश सहित भाजपा शासित मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी जातिगत व राजनीतिक द्वेष की भावना के तहत निर्दोष लोगों को फंसाया गया था। ऐसे लोगोंं के ऊपर चल रहे मामलों को वहां की नई कांग्रेसी सरकारों को तुरन्त वापस लेकर खत्म करना चाहिये। उन्होंने आगाह किया कि ऐसा नहीं करने पर दोनों राज्यों की सरकारों को बाहर से समर्थन देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। उन्होंने देश व ख़ासकर उत्तर प्रदेश के समस्त भाईयों-बहनों तथा कर्तव्यों को निभाने में दिन-रात व्यस्त रहने वाले सभी वीर सैनिकों, पुलिस आदि के जवानों के साथ-साथ सर्वसमाज के ग़रीबों, मज़दूरों, किसानों, छोटे व मझोले व्यापारियों एवं अन्य सभी मेहनतकश लोगों को नये साल की बधाई दी। उन्होंने जनता से 2019 को बेहतर शुरूआत करने की अपील की। उन्होंने कहा कि नये साल से पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा के अहंकार को तोड़कर जनता ने व्यापक देशहित में बहुत कुछ बेहतर करने का संकेत दे दिया है । बसपा अध्यक्ष ने कहा कि केन्द्र सरकार को ‘तीन तलाक विधेयक-2018’ को पहले संयुक्त संसदीय प्रवर समिति के पास विचार-विमर्श के लिए भेजे जाने की समूचे विपक्ष की मांग को स्वीकार कर लेना चाहिए। उन्होंंने कहा कि मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नई सरकारों को खासकर किसानों व बेरोजगारों के हितों में तत्काल सार्थक कदम उठाने की जरूरत है। मायावती ने कहा कि अब नये वर्ष में लोगों को तय करना है कि चुनावी वर्ष में सन् 2014 की गलती कतई नहीं करें, ताकि केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन सरकार को हटाया जा सके।

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