- नए साल का जश्न मनाने के लिए दिल्ली के क्लब, रेस्टोरेंट और पांच सितारा होटल, सब बुक हो चुके हैं।
- दिल्ली का रेड लाइट एरिया यानी जीबी रोड भी 31 दिसंबर को खास चर्चा में रहने लगा है।
- दिल्ली-एनसीआर के अलावा यूपी, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से भी युवाओं का हुजूम यहां पहुंचता है।
- इस जश्न के लिए कई कोठो पर बाहर से महिलाओं को बुलाया जाता है।
नए साल का जश्न मनाने के लिए कोई गोवा-मसूरी जा रहा है तो कोई हरिद्वार-बनारस जैसे आध्यात्मिक शहरों में जा पहुंचा है। दिल्ली के क्लब, रेस्टोरेंट और पांच सितारा होटल, सब बुक हो चुके हैं।सब अपने-अपने तरीके से नए साल का स्वागत करने को आतुर हैं।
इन सबके बीच दिल्ली का रेड लाइट एरिया यानी जीबी रोड भी 31 दिसंबर को खास चर्चा में रहने लगा है। यहां तो नव वर्ष का जश्न ऐसा मनता है कि पुलिस को जीबी रोड के दोनों ओर बेरिकेड लगाकर लोगों की भीड़ रोकनी पड़ती है।
दिल्ली-एनसीआर के अलावा यूपी, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से भी युवाओं का हुजूम यहां पहुंचता है। इस जश्न के लिए कई कोठो पर बाहर से महिलाओं को बुलाया जाता है।शुरु के नंबरों वाले तीन-चार ऐसे कोठे भी हैं, जहां साल के आखिरी दिन मुजरा होता है।
…धंधा भी अन्य दिनों की बजाए दो घंटे पहले शुरु होता है
जीबी रोड पर स्थित कोठा(सांकेतिक चित्र) – फोटो : सोशल मीडिया
कोठा नंबर-54 की संचालिका रहाना (बदला हुआ नाम) का कहना है कि…
साल के दो-चार दिनों को छोड़ दें तो अब यहां पर धंधा कुछ रह नहीं गया है। नए साल पर यहां लोगों का हुजूम उमड़ता है।अन्य दिनों में धंधा रात नौ-दस बजे शुरु होता है, लेकिन 31 दिसंबर को जीबी रोड की दुकानें जल्द बंद हो जाती है, इसलिए सात बजे के बाद यहां ग्राहक आने लगते हैं। यही एक दिन होता है जब हर छोटा-बड़ा कोठा ग्राहकों से गुलजार रहता है।रात को तीन-चार बजे तक यहां लोगों का जमावड़ा लगता है। दिक्क्त यह होती है कि टोली यानी समूहों में आने युवक कई बार मारपीट करने लगते हैं। जबरदस्ती भी खूब होती है।रहाना बताती है कि झगड़ा न हो, इसके लिए हम पुलिस की मदद लेती हैं। गत वर्ष जिस तरह से यहां भीड़ उमड़ी, उसके चलते पुलिस ने जीबी रोड के दोनों किनारों पर बेरिकेड लगा दिए थे।कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा।
सेक्स वर्कर माया (काल्पनिक नाम) कहती हैं कि…
नए साल के मौके पर अधिकांश युवा शराब की बोतल लेकर कोठे में आने की जिद्द करते हैं। यहीं से परेशानी शुरु हो जाती है।इसी के चलते मारपीट भी होती है। समूह में आने वाले ग्राहक खासकर युवा, सेक्स वर्कर के साथ बुरा बर्ताव करते हैं। ऐसे लोग कोठे की सीढ़ियाँ न चढने पाएं, इसके लिए हम अपने स्तर पर कुछ इंतजाम करते हैं।स्थिति जब बेकाबू होने लगती है तो पुलिस चौकी को इत्तला दे देते हैं।
मुजरे के अलावा लोगों के नाचने-गाने का इंतजाम होता है…
जीबी रोड – फोटो : सोशल मीडिया
कई ग्राहकों की मांग होती है कि वे सेक्स वर्कर के साथ नाचना चाहते हैं तो उनकी यह बात मान लेते हैं। मध्यम आवाज वाले स्पीकर लगाकर उनकी फरमाइश पूरी करते हैं।हालांकि मुजरा अब दो-चार कोठों पर ही होता है।
पहले हर कोठे पर मुजरे की मांग थी, लेकिन बदलते वक्त में वह सब खत्म हो गया।अब कुछ साधन संपन्न लोग ही मुजरा पसंद करते हैं। इसके लिए यूपी और मध्यप्रदेश से मुजरे वाली महिलाओं को बुलाया जाता है।चार-पांच घंटे में एक महिला पांच-दस हजार रुपये तक कमा लेती है।
…मगर रेट तो 200 रुपये ही रहता है
जीबी रोड पर जो रेट सामान्य दिनों में रहता है, वह नए साल के जश्न पर कम या ज्यादा नहीं होता। अगर कोई ग्राहक अपनी खुशी से कुछ दे जाए तो बात अलग है। आम दिनों में बड़ी मुश्किल से 200-300 रुपये मिल पाते हैं। 31 दिसंबर की रात को भी रेट बढ़ाया नहीं जाता। जया और मीता (बदला हुआ नाम), कहती हैं कि…
साल के आखिरी दिन ग्राहकों की जमकर भीड़ आती है, लेकिन इसके बावजूद हम रेटों में जरा सा भी बदलाव नहीं करते। हम चाहें तो पांच सौ या एक हजार रुपये तक मांग सकते हैं, लेकिन कोठा संचालिका भी ऐसा करने से मना कर देती है। मुजरा या फ़िल्मी गानों पर डांस के दौरान रुपयों की बरसात होती है, उसे हम सब आपस में बांट लेती हैं।
सेक्स वर्कर की सलाह…पर्स व मोबाइल गुम होता है तो जिम्मेदार हम नहीं
कोठा नंबर 62 पर रहने वाली नीरूपमा (काल्पनिक नाम) ने बताया कि…नए साल की मस्ती में अनेक ग्राहकों का कीमती सामान चोरी हो जाता है।इसके लिए हमें ही बदनाम किया जाता है। ऐसा नहीं है। जब समूह में लोग कोठे पर आते हैं तो सीढ़ियों के आसपास जेब कतरे या झपटमार खड़े रहते हैं। कई कोठों तक पहुंचने का रास्ता अंधेरे या फिर बहुत मध्यम रोशनी से होकर गुजरता है। इस दौरान जो ग्राहक हल्के-फुल्के नशे में होते हैं, उनके साथ छीना-झपटी की घटनाएं हो जाती हैं।