जब मां लक्ष्मी ने अपने ही अवतार रुक्मणी को बताई थी ये बातें
‘श्री’ शब्द का अर्थ संस्कृत व्याकरण के मुताबिक तीन शब्दों से मिल कर बना है। ये तीन शब्द शोभा, लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) और कांति के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। श्री को शक्ति माना गया है।
असल में यह पूरे ब्रह्मांड की प्राण शक्ति है। इस शब्द का उल्लेख सबसे पहले ऋग्वेद में किया गया था। मुख्य रूप से, ‘श्री’ शब्द धन, प्रसिद्धि, सौंदर्य, करिश्मा, भलाई और अधिकत्ता को दर्शाता है।
कई लोगों का मानना है कि श्री शब्द देवी लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) का पर्याय है और विशेष रूप से दिवाली जैसे त्योहारों पर इसकी पूजा की जाती है। हमारे पुराण में भी कई कहानियां हैं जो इस शब्द का उल्लेख करते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि एक बार रुक्मणी बैकुंठ जाती है और भगवान विष्णु की पत्नी महालक्ष्मी से एक प्रश्न पूछती है – वह पूछती है, ‘आप किसके घर में निवास करती हैं?’ मतलब, देवी लक्ष्मी को घर पर आमंत्रित करने के लिये व्यक्ति में ऐसे कौन से गुण होने चाहिये, जिससे वह उसके घर में वास कर सकें। मां लक्ष्मी को घर पर बुलाने के लिये इन सभी बातों का ध्यान रखना चाहिये क्योंकि आपकी छोटी-छोटी गलती से वह रुष्ट हो सकती हैं।
इस सवाल के जवाब में मां लक्ष्मी ने ये उत्तर दिया
पुरुषों में होने चाहिए ये गुण
जो कम और सुखद मुस्कुराहट के साथ बोलता हो। जो ‘कार्यकुशल’ हो। जो भाग्य दृारा सौंपे गए कार्यो को करने में सक्षम हो। जो ‘संयमी’ हो – संयम दिखाता हो। जो उदार हो। जो नाराज नहीं होता। वह व्यक्ति जो व्यस्त जीवन में भी प्रभु को याद करने के लिए समय निकालता हो।
महिलाओं में होने चाहिए ये गुण
महिला जो ना केवल पति की सेवा करे बल्कि पूरे परिवार की देखभाल करती हो। जो दूसरों को क्षमा करे। कौन कर रहा है। ‘मृदु भाषी’ – मीठा बोलती हो। पुरुष की तुलना में अधिक ‘संयमी’ हो।
मार्कण्डेय पुराण में मिली एक कहानी के अनुसार मां लक्ष्मी ऐसी महिला के घर में कभी नहीं जाती जो बिना बात के हर समय गुस्से में रहती हो। बिना कारण लगातार बोलती हो। बोलते समय चिल्लाना या फिर जोर जोर से बात करती हो। लगातार खाती हो। सुबह और शाम को सोती हो।
देवी लक्ष्मी ऐसे पुरुष के घर कभी वास नहीं करती जो दूसरों की इन चीजों पर हक जमाता हो। किसी दूसरे व्यक्ति का वाहन। किसी दूसरे व्यक्ति का घर। किसी दूसरे व्यक्ति का खेत या अनाज। किसी दूसरे आदमी की पत्नी।