सुषमा ने उठाए जर्मनी में भारतीय छात्रों के मुददे
बर्लिन। भारत के साथ संबंधों में पिछले साल दरार पैदा करने वाले जर्मन भाषा के मुददे को सुलक्षाने की दिशा में बनी सहमति के तहत जर्मनी अपने शैक्षणिक संस्थानों में संस्कत सहित भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देगा।
चांसलर एंजेला मर्केल की अक्तूबर में भारत यात्रा के दौरान इस मुददे के प्रस्ताव पर घोषणा होने की संभावना है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की कल यहां अपने जर्मन समकक्ष फ्रैंक वाल्टर स्टेनमेर और जर्मन शिक्षा मंत्री जोहन्ना वांका के साथ हुई बैठक में दोनों देशों ने एक प्रस्ताव की रूपरेखा पर चर्चा की। दोनों देशों के बीच बनी व्यापक सहमति के मुताबिक भारत अतिरिक्त विषय के रूप में जर्मन का पढ़ाना जारी रखेगा जबकि जर्मनी अपने शैक्षणिक संस्थानों में संस्कत सहित भारतीय भाषाआें को बढ़ावा देगा। आधिकारिक सूत्रों ने पीटीआई भाषा को बताया, हम मुददे के हल के करीब हैं। दोनों देशों को चांसलर एंजेला मर्केल की आगामी भारत यात्रा के दौरान घोषणा किए जाने की उम्मीद है।
मानव संसाधन विकास मंत्री ने नवंबर में संस्कत के विकल्प के तौर पर जर्मन की पढ़ाई बंद किए जाने का फैसला किया था और कहा था कि इस फैसले के पीछे राष्ट्रीय हित है।
जर्मनी ने फैसले की आलोचना की थी और यह मुददा पिछले साल नवंबर में ब्रिसबेन में जी 20 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के दौरान भी मर्केल ने उठाया था। मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि उनकी सरकार इस विषय पर गौर करेगी और एक सौहाद्रपूर्ण हल निकालने की कोशिश करेगी। केंद्रीय विद्यालय संगठन और गोइथे इंस्टीटयूट के बीच 2011 में हस्ताक्षरित एक सहमति पत्र के आधार पर केंद्रीय विद्यालयों में संस्कत को तीसरी भाषा के रूप में रखा गया था।