ज्योतिष डेस्क : 2019 के पहले सूर्यग्रहण की शुरुआत 5 जनवरी की मध्य रात्रि से हुई। यह आंशिक सूर्यग्रहण होगा, जो कि सूर्यग्रहण का एक प्रकार है। इस सूर्यग्रहण को उत्तर-पूर्व एशिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में देखा जा सकेगा। जापान, कोरिया, मंगोलिया, ताइवान और रूस के अलावा भी दुनिया के कुछ हिस्सों में ये ग्रहण नजर आएगा। भारत के लोग इसे नहीं देख पाएंगे, आइए जानते हैं क्या होता है सूर्य ग्रहण, ग्रहों में किस बदलाव से ये पड़ता है। आज का ग्रहण आंशिक सूर्यग्रहण तो सबसे पहले जानिए क्या है, आंशिक सूर्यग्रहण, जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है तो सूर्यग्रहण लगता है। इस अवस्था में पृथ्वी पर चंद्रमा की छाया पड़ती है और सूर्य नजर नहीं आता, लेकिन जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी और सूर्य के बीच नहीं आ पाता है तो आंशिक सूर्यग्रहण लगता है। सौर मंडल के पिण्ड में बदलाव या उनकी जगह बदलने पर ग्रहण लगता है। इस बदलाव की वजह से जब एक खगोलीय पिण्ड दूसरे पिण्ड के खिसकने से छिप जाता है, तब ग्रहण होता है। सौर मंडल के पिण्ड में बदलाव या उनकी जगह बदलने पर ग्रहण लगता है। इस बदलाव की वजह से जब एक खगोलीय पिण्ड दूसरे पिण्ड के खिसकने से छिप जाता है, तब ग्रहण होता है। जब सूरज और धरती के बीच चांद आता है तो सूरज ग्रहण लगता है, तभी हम धरती पर रहने वालों को सूरज की रौशनी दिखाई नहीं देती। सूर्य एक प्रकाश पिण्ड है, हमारी धरती इसके चारों और घूमती है।
सूरज, चांद और धरती ये तीनों पिण्ड अपनी अपनी कक्षाओं में घूमते रहते हैं। इसी दौरान जब तीनों खगोलीय पिण्ड एक लाइन में आते हैं तब ग्रहण होता है। इस दौरान चांद का जो हिस्सा ढक जाता है उसे पूर्ण छाया क्षेत्र कहा जाता है, जब सूरज ग्रहण होता है तब चांद और सूरज का व्यास बराबर होता है। इसी वजह से चांद, कुछ मिनट के लिए ही सूरज को अपनी छाया में ले यानी ढक पाता है। इस दौरान चांद का जो हिस्सा ढक जाता है उसे पूर्ण छाया क्षेत्र कहा जाता है। जब सूरज ग्रहण होता है तब चांद और सूरज का व्यास बराबर होता है। इसी वजह से चांद, कुछ मिनट के लिए ही सूरज को अपनी छाया में ले यानी ढक पाता है।