भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवान ने आज गगनयान मिशन के संबंध में प्रेसवार्ता की। उन्होंने बताया कि इस मिशन पर काम जारी है और यह इसरो के लिए एक बड़ा टर्निंग पॉइंट है। इसरो प्रमुख सिवान ने बताया कि दो मानवरहित स्पेस मिशन का लक्ष्य दिसंबर 2020 और जुलाई 2021 रखा गया है। इसके अलावा अंतरिक्ष के मानव मिशन के लिए दिसंबर 2021 का समय निर्धारित किया गया है।
बजट पास होने के बाद क्रू की ट्रेनिंग पर काम शुरू हो चुका है। इसमें जरूरत पड़ने पर विदेशी ट्रेनिंग को भी शामिल किया जा सकता है। क्रू मेंबर का चुनाव इसरो और आईएएफ द्वारा संयुक्त तौर पर किया जा रहा है। जिसके बाद उन्हें दो से तीन सालों तक ट्रेनिंग दी जाएगी। इस मिशन के लिए राकेश शर्मा का भी परामर्श लिया जाएगा। राकेश शर्मा भारत के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा की थी। लेकिन वह सोवियत संघ के अंतरिक्ष अभियान के तहत गए थे। साल 2022 तक भारतीय एजेंसी के दम पर जाने का किसी भारतीय का ये पहला अवसर होगा।
बजट पास होने के बाद क्रू की ट्रेनिंग पर काम शुरू हो चुका है। इसमें जरूरत पड़ने पर विदेशी ट्रेनिंग को भी शामिल किया जा सकता है। क्रू मेंबर का चुनाव इसरो और आईएएफ द्वारा संयुक्त तौर पर किया जा रहा है। जिसके बाद उन्हें दो से तीन सालों तक ट्रेनिंग दी जाएगी। इस मिशन के लिए राकेश शर्मा का भी परामर्श लिया जाएगा। राकेश शर्मा भारत के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा की थी। लेकिन वह सोवियत संघ के अंतरिक्ष अभियान के तहत गए थे। साल 2022 तक भारतीय एजेंसी के दम पर जाने का किसी भारतीय का ये पहला अवसर होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि मानव मिशन बेहद मुश्किल काम होता है। अगर ये आसान होता तो आज केवल दुनिया में तीन ही देश इसे सफल करने वाले नहीं होते बल्कि और भी देश इस सूची में होते। इसरो को इसके लिए बाहुबली रॉकेट की ह्यूमन रेटिंग करनी पड़ेगी,प्री मॉड्यूल बनाना पड़ेगा। इसके अलावा उसे ये भी योजना बनानी पड़ेगी कि अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में क्या काम करेंगे और क्या खाएंगे।
इसके साथ ही अंतरिक्ष यात्रियों के वापस आने के लिए भी तैयारियां की जाएंगी। इसरो का कहना है कि अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी अरेबियन सी में होगी। इसे कर पाना काफी मुश्किल हो सकता है लेकिन इसके लिए इसरो पूरी तैयारी कर रहा है।