सीबीआई निदेशक पद से हटाने के बाद आलोक वर्मा ने दिया इस्तीफा
नई दिल्ली : पूर्व सीबीआई चीफ आलोक वर्मा ने इस्तीफा दे दिया है। दरअसल, आलोक वर्मा का विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है। आरोपों से घिरने के बाद पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति ने आलोक वर्मा को हटाने का फैसला लिया। इसके बाद उन्हें हटाकर अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड का महानिदेशक बनाया गया। लेकिन इस फैसले ने नाराज आलोक वर्मा का पहले तो दर्द छलका और उन्होंने झूठे और अप्रमाणित आरोपों के तहत हटाने की बात कही। इसके बाद ड्रामा और आगे बढ़ा और वर्मा ने अब नए पदों पर काम करने से ही इनकार करते इस्तीफा दे दिया। आलोक वर्मा का विवाद अब तूल पकड़ता जा रहा है। भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद उनकी छुट्टी, फिर बहाली और फिर ट्रांसफर के बाद वर्मा ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को झूठा, अप्रमाणित और निराधार बताया। उन्होंने कहा मुझे जलन की भावना के तहत हटाया गया। वर्मा की बहाली के बाद से ही सियासी पारा गर्माने लगा था। कांग्रेस ने केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की। कांग्रेस ने कहा कि सरकार वर्मा को लेकर कार्रवाई से क्यों डर रही है? लेकिन इन सबके बीच आलोक वर्मा ने एक और बड़ा कदम उठा लिया। उन्होंने उच्चाधिकारियों की समिति की ओर से लिए गए फैसले के बाद अपनी नई जिम्मेदीर लेने से साफ इनकार कर दिया है। अब देखना होगा कि आगे ये कदम कितना बड़ा तूफान लेकर आएगा। इससे पहले वर्मा ने कहा कि उन्हें झूठे, अप्रमाणित और बेहद हल्के आरोपों को आधार बनाकर ट्रांसफर किया गया है। ये आरोप उस एक शख्स ने लगाए हैं, जो उनसे द्वेष रखता है। आपको बता दें कि सीबीआई यानी केंद्रीय जांच ब्यूरो निदेशक पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा को अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड का महानिदेशक बनाया गया था।
वर्मा ने कहा सीबीआई उच्च सार्वजनिक स्थानों में भ्रष्टाचार से निपटने वाली एक प्रमुख जांच एजेंसी है, एक ऐसी संस्था है जिसकी स्वतंत्रता को संरक्षित और सुरक्षित किया जाना चाहिए। इसे बिना किसी बाहरी प्रभावों यानी दखलअंदाजी के कार्य करना चाहिए। मैंने संस्था की साख बनाए रखने की कोशिश की है, जबकि इसे नष्ट करने के प्रयास किए जा रहे हैं। खास कमेटी के पैनल ने पाया कि सीवीसी ने आलोक वर्मा पर गंभीर टिप्पणियां की हैं। पैनल को लगा कि आलोक वर्मा जिस तरह के संवेदनशील संस्था के प्रमुख थे, उन्होंने वैसा आचरण नहीं किया। पैनल के मुताबिक सीवीसी को लगा है कि मोइन क़ुरैशी मामले में आलोक वर्मा की भूमिका संदेहास्पद है। आईआरसीटीसी केस में सीवीसी को ये लगा है कि जानबूझकर वर्मा ने एक नाम हटाया है। वहीं सीवीसी को कई दूसरे मामलों में भी शर्मा के खिलाफ सबूत मिले हैं। फिलहाल उन्हें डीजी फायर सर्विसेज़, सिविल डिफेंस और होमगार्ड का बनाया गया है।